Search…

    Saved articles

    You have not yet added any article to your bookmarks!

    Browse articles

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    Top trending News
    bharathunt
    bharathunt

    Assam में हिंदुओं की जमीन दूसरे समुदाय को अवैध तरीके से ट्रांसफर कर रही थी Officer Nupur Bora, CM Himanta ने पड़वाया छापा, करा दी गिरफ्तारी

    3 hours from now

    1

    0

    असम में हाल ही में सामने आए भूमि घोटाले ने राज्य की प्रशासनिक ईमानदारी पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। गुवाहाटी में गिरफ्तार की गई असम सिविल सेवा (एसीएस) की युवा अधिकारी नुपुर बोरा केवल छह वर्ष पहले ही सेवा में शामिल हुई थीं। लेकिन उनकी गिरफ्तारी से यह स्पष्ट हो गया है कि भ्रष्टाचार का जाल केवल अनुभवी अधिकारियों तक सीमित नहीं, बल्कि नई पीढ़ी भी इसकी चपेट में आ रही है।हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री के सतर्कता प्रकोष्ठ ने नुपुर बोरा के गुवाहाटी स्थित दो फ्लैटों पर छापा मारकर लगभग एक करोड़ रुपये नकद, हीरे और लाखों की ज्वेलरी बरामद की। उनके खिलाफ आरोप है कि बरपेटा जिले में कार्यकाल के दौरान उन्होंने अवैध भूमि हस्तांतरण में भूमिका निभाई, जिसमें कथित तौर पर हिंदू समुदाय की ज़मीन को दूसरे समुदाय के नाम पर स्थानांतरित किया गया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने साफ कहा कि यह अधिकारी पिछले छह महीनों से सरकार की निगरानी में थी और उनके खिलाफ गंभीर शिकायतें लगातार आ रही थीं।इसे भी पढ़ें: Congress ने दिया अलगाव, हम दे रहे विकास, नुमालीगढ़ में PM Modi ने किया बायो-इथेनॉल प्लांट का उद्घाटनदेखा जाये तो असम में भूमि केवल आर्थिक संपत्ति नहीं, बल्कि जनसांख्यिकीय संतुलन और सांस्कृतिक पहचान का प्रश्न भी है। बरपेटा और अन्य निचले असम के ज़िले लंबे समय से "बांग्लादेशी घुसपैठियों" के ठिकाने माने जाते रहे हैं। ऐसे में भूमि का अवैध हस्तांतरण केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है। यही कारण है कि हाल ही में राज्य कैबिनेट ने अंतर-धार्मिक भूमि लेनदेन के लिए असम पुलिस की विशेष शाखा से मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने असम दौरे में इस खतरे की ओर इशारा करते हुए कहा था कि अवैध प्रवासियों से राज्य की जनसांख्यिकी बदलने का खतरा वास्तविक है। इस परिप्रेक्ष्य में नुपुर बोरा का मामला और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि यह केवल व्यक्तिगत भ्रष्टाचार नहीं बल्कि एक बड़े जनसांख्यिकीय संकट में योगदान करने जैसा है।हम आपको यह भी बता दें कि नुपुर बोरा का सोशल मीडिया प्रोफाइल उनकी जीवनशैली, फैशन और यात्रा के शौक को दर्शाता है। लेकिन इन सबके पीछे जो भारी-भरकम अवैध संपत्ति मिली, वह इस बात का संकेत है कि प्रशासनिक तंत्र के भीतर धन संचय और दिखावटी जीवनशैली का आकर्षण किस तरह नौजवान अधिकारियों को भी भ्रष्ट कर रहा है।देखा जाये तो यह स्थिति दोहरा खतरा पैदा करती है। ऐसे घटनाक्रमों से भ्रष्टाचार की संस्थागत जड़ें गहरी होती जाती हैं और सामाजिक विभाजन तथा असुरक्षा की भावना और बढ़ जाती है। इसलिए मुख्यमंत्री सरमा का यह कहना कि "राजस्व विभाग की भ्रष्टाचारग्रस्त व्यवस्था" को साफ करना होगा, इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि समस्या केवल एक अधिकारी तक सीमित नहीं है। यह मामला गहरी जमी हुई उस संरचना को उजागर करता है, जिसमें भूमि माफिया, राजनीतिक हित और प्रशासनिक उदासीनता एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं।देखा जाये तो असम का यह प्रकरण केवल भ्रष्टाचार का सामान्य मामला नहीं है। यह उस गहराई को दिखाता है जहां व्यक्तिगत लालच, अवैध प्रवास और सांस्कृतिक असुरक्षा आपस में उलझ भी जाते हैं। नुपुर बोरा की गिरफ्तारी सरकार के लिए केवल एक सफलता नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है कि अगर प्रशासनिक तंत्र को पारदर्शी और जवाबदेह नहीं बनाया गया, तो असम की जनसांख्यिकीय चुनौतियां और गंभीर रूप ले सकती हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की असली परीक्षा यही है कि वह नौकरशाही की ईमानदारी, भूमि की पवित्रता और समाज की सुरक्षा को एक साथ कैसे संतुलित करती है।इसके अलावा, असम में भूमि से जुड़ा भ्रष्टाचार का यह मामला केवल प्रशासनिक ईमानदारी का प्रश्न नहीं है, बल्कि इससे कहीं अधिक गहरी परतें खुलती हैं। नुपुर बोरा प्रकरण में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हिंदू समुदाय की ज़मीन को व्यवस्थित तरीके से दूसरे समुदाय के नाम पर स्थानांतरित किया जा रहा था। यह बात जगजाहिर है कि असम लंबे समय से अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के दबाव से जूझ रहा है। विशेषकर निचले असम के ज़िलों— बरपेटा, धुबरी, गोराइमारी में यह समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। ज़मीन का अवैध हस्तांतरण कोई सामान्य भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति है जिसके ज़रिए जनसंख्या संतुलन को बदला जा सके और हिंदुओं को धीरे-धीरे विस्थापित किया जा सके।बहरहाल, नुपुर बोरा प्रकरण हमें यह याद दिलाता है कि असम में भूमि विवाद केवल संपत्ति का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति और सुरक्षा का प्रश्न है। जिस तरह हिंदुओं की ज़मीन को व्यवस्थित ढंग से हड़पने की कोशिश की गई, वह असम की अस्मिता पर हमला है। मुख्यमंत्री सरमा इस सुनियोजित षड्यंत्र को विफल करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन चुनौती अब भी बाकी है। सवाल उठता है कि क्या प्रशासनिक ढांचे को पूरी तरह पारदर्शी बनाकर इन जड़ों को उखाड़ा जा सकेगा? असम का भविष्य इसी सवाल के जवाब पर निर्भर करेगा।
    Click here to Read more
    Prev Article
    कपड़े से लेकर बाथरूम तक जगह-जगह खून के धब्बे, लगे 45 टांके, आखिर कैसे हुआ अंकिता लोखंडे के पति का ये हाल
    Next Article
    Elgar Parishad case: सुप्रीम कोर्ट से महेश राउत को राहत, चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत

    Related न्यूज Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment