Search…

    Saved articles

    You have not yet added any article to your bookmarks!

    Browse articles

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    Top trending News
    bharathunt
    bharathunt

    गोरखपुर में बिजली निजीकरण का विरोध:कर्मचारी बोले-तीन महीने से नहीं मिला वेतन, सीएम से मदद की लगाई गुहार

    7 hours ago

    1

    0

    गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा है। समिति ने कहा कि दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था में हुए अप्रत्याशित सुधार की चर्चा हुई। बैठक में तकनीकी और वाणिज्यिक हानि में लगातार कमी की सराहना की गई, जिसकी पुष्टि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने सोशल मीडिया के माध्यम से की। मुख्यमंत्री से निजीकरण निरस्त करने की मांग संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रद्द की जाए। समिति का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र में रहते हुए एटीएंडसी हानियों में गुणात्मक सुधार हुआ है, जबकि निजीकरण के पूर्व प्रयोग, जैसे आगरा और ग्रेटर नोएडा, विफल रहे और इसमें बड़े घोटाले सामने आए। इस स्थिति में निजीकरण को लागू करना सही नहीं है। कथित घाटे के आधार पर निजीकरण पर आपत्ति संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन कथित घाटे का हवाला देकर निजीकरण की दलील दे रहा है। समिति ने आगरा के फ्रेंचाइजी करार का उदाहरण दिया, जिसके कारण पावर कॉरपोरेशन को प्रतिवर्ष 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा एटीएंडसी हानियों के गलत आंकड़ों के आधार पर टोरेंट पावर को बहुत सस्ती दर पर बिजली दी जा रही है, जिससे पिछले 14 वर्षों में 3432 करोड़ रुपए की हानि हुई है। वेतन न मिलने और उत्पीड़न के खिलाफ विरोध संघर्ष समिति के पदाधिकारी पुष्पेन्द्र सिंह, जीवेश नन्दन, जितेन्द्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह एवं राकेश चौरसिया ने कहा कि लगातार तीन माह तक बिजली कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाना गंभीर और अमानवीय कार्रवाई है। संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटाए जाने से विभिन्न जनपदों में बिजली व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
    Click here to Read more
    Prev Article
    बिजली बकाया वसूली को लेकर हाथापाई,VIDEO:मऊ में व्यापारी और बिजली विभाग के कर्मचारियों हुआ था विवाद
    Next Article
    सीतापुर में युवती ने फांसी लगाकर दी जान:परिजनों का आरोप- युवक ने अश्लील फोटो वायरल की, शादी टूटने से परेशान थी

    Related न्यूज Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment