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    जालौन में धरोहर संरक्षण संवाद:कर्नल सक्सेना बोले- समय की पाबंदी और एकाग्रता से मिलती है सफलता

    15 hours ago

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    जालौन के उरई में इन्टैक उरई चैप्टर, प्रांतीय कला धरोहर समिति, संस्कार भारती और भारत विकास परिषद स्वामी विवेकानंद शाखा उरई के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को धरोहर संरक्षण संवाद का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जालौन बाईपास स्थित डॉ. बृज बिहारी गुप्ता सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में संपन्न हुआ। विद्यालय के प्रधानाचार्य बृजेंद्र सिंह यादव के नेतृत्व में आयोजित इस संवाद का उद्देश्य बच्चों को धरोहर संरक्षण और जीवन मूल्य से अवगत कराना रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसे मध्य प्रदेश के वरिष्ठ डाक टिकट संग्राहक, फिलाटेली विभाग के प्रमुख सलाहकार और भारतीय सेना के इंजीनियरिंग कोर से अवकाश प्राप्त कर्नल आर.के. सक्सेना ने किया। मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे कर्नल सक्सेना ने बच्चों से संवाद करते हुए कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिए समय की पाबंदी और लक्ष्य पर एकाग्रता बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अनुशासन और समर्पण से ही बड़ी मंजिलें हासिल की जा सकती हैं। मुख्यवक्ता डॉ. हरीमोहन पुरवार ने बच्चों को धरोहर के महत्व और उसके संरक्षण पर जानकारी देते हुए कहा कि धरोहर को चार श्रेणियों में विभाजित करते हुए बताया कि पहली है प्राकृतिक धरोहर – जिसमें वन, पर्वत, नदियां और झीलें आती हैं। इनका संरक्षण पेड़ों की कटाई रोकने और जलस्रोतों को प्रदूषण मुक्त रखने से संभव है। दूसरी है कला धरोहर- जिसमें चित्रकला, संगीत, नाट्यकला आदि शामिल हैं। इनका संरक्षण निरंतर अभ्यास और प्रोत्साहन से ही हो सकता है। तीसरी है निर्माणित धरोहर- जैसे मंदिर, भवन, किले और दुर्ग। इन्हें समय-समय पर संजोना और बर्बादी से बचाना जरूरी है। चौथी है जीवित धरोहर- जिसमें हमारी परंपराएं और रीति-रिवाज आते हैं। डॉ. पुरवार ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने वैज्ञानिक आधार पर जो परंपराएं बनाई हैं, उन्हें दैनिक जीवन में अपनाने से ही उनका संरक्षण संभव है। प्रधानाचार्य बृजेंद्र यादव ने मुख्य अतिथि कर्नल सक्सेना का अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान श्रीमती संध्या पुरवार और श्रीमती उषा सिंह निरंजन ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया। संचालन डॉ. उमाकांत गुप्ता ने किया और अंत में सभी आगंतुकों, शिक्षकों और छात्रों का आभार व्यक्त किया।
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