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    लखनऊ में स्वामी योगानंद की जयंती मनाई:रामकृष्ण मठ में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन, यूट्यूब पर लाइव प्रसारण

    11 hours ago

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    लखनऊ के रामकृष्ण मठ निराला नगर में स्वामी योगानन्दजी की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर मठ में कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। साथ ही, सभी कार्यक्रमों का लाइव प्रसारण ‘रामकृष्ण मठ, लखनऊ’ के यूट्यूब चैनल के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत शंखनाद और मंगल आरती से हुई, जिसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण और ’नारायण सूक्तम’ का पाठ हुआ। समूह में ’जय जय रामकृष्ण भुवन मंगल’ का गायन किया गया। यह सब कुछ रामकृष्ण मठ, लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज के नेतृत्व में हुआ। स्वामी योगानन्दजी की जीवनी और उनके वचन किए सायंकाल में मुख्य मंदिर में संध्यारति के बाद स्वामी सारदानन्दजी द्वारा रचित ’सपार्षद-श्री रामकृष्ण स्तोत्रम’ का पाठ हुआ, जिसे स्वामी इष्टकृपानन्द ने संपन्न किया। इसके बाद स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज ने स्वामी योगानन्दजी की जीवनी और उनके वचन पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि श्रीरामकृष्ण ने हमेशा कहा था कि वह एक ‘गुलदस्ता’ हैं, जिसमें विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक उपलब्धियां मिलती हैं। स्वामी योगानन्दजी भी इस गुलदस्ते के एक महत्वपूर्ण फूल थे, जो अपनी भक्ति और ज्ञान में अनूठे थे। योगानन्दजी रामकृष्ण मिशन के पहले उपाध्यक्ष थे स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी ने यह भी बताया कि स्वामी योगानन्द जी, भगवान श्री रामकृष्ण देव के अंतरंग शिष्य थे और उन्होंने माँ सारदा देवी से मंत्र दीक्षा ली थी। उनका जन्म 30 मार्च 1861 को दक्षिणेश्वर गांव में हुआ था और उनका असली नाम योगिंद्रनाथ रॉय चौधरी था। स्वामी योगानन्दजी रामकृष्ण मिशन के पहले उपाध्यक्ष थे और उन्होंने मिशन के प्रारंभिक वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका कार्य आज भी हर भक्त के लिए प्रेरणास्त्रोत स्वामी योगानन्दजी का जीवन तप और संगठन के लिए समर्पित था। उन्होंने कई महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों का आयोजन किया और स्वामी विवेकानन्द के साथ मिलकर रामकृष्ण मिशन को एक नई दिशा दी। उनका निधन 28 मार्च 1899 को हुआ, लेकिन उनका जीवन और कार्य आज भी हर भक्त के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। स्वामी योगानन्दजी का जीवन साधना, भक्ति और संगठन के अद्भुत उदाहरणों से भरा हुआ था, जिसने रामकृष्ण मिशन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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