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    मेरठ के रमेश मद्रासी डोसे वाले का सांभर लाजवाब:मसाला डोसा के साथ नारियल की चटनी, 40 साल पहले ठेले से की थी शुरूआत

    2 hours ago

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    मेरठ की सड़कों पर अगर स्वाद की बात हो और रमेश मद्रासी डोसा का नाम न आए, तो बात अधूरी-सी लगती है! मेरठ ही नहीं, मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में रमेश के डोसे की धूम मची है। सुबह से शाम तक उनके ठेले और आउटलेट्स पर लोगों की लाइन लगी रहती है, मानो डोसा नहीं, कोई जादू बिक रहा हो! दक्षिण भारत से मेरठ की गलियों तक का सफर तय करने वाले रमेश की कहानी मेहनत, जुनून और स्वाद की मस्ती से भरी है। ठेले से शुरू हुआ डोसा रमेश, जो दक्षिण भारत के हैं, ने 40 साल पहले मेरठ में एक छोटे से ठेले पर डोसा बनाना शुरू किया था। तब शायद उन्हें भी नहीं पता था कि उनका ये छोटा-सा ठेला एक दिन मेरठ का सबसे मशहूरडोसे वाला बन जाएगा। आज उनके दो आउटलेट्स हैं, रमेश मुस्कुराते हुए कहते हैं,रमेश साउथ के रहने वाले हैं और उन्होंने बताया कि उन्होंने 40 साल पहले यह काम शुरू कर था एक ठेले से उनकी शुरुआत हुई और अब तक उनके दो आउटलेट्स बन चुके हैं। रमेश बताते हैं कि उनके यहां डोसे की बिक्री बड़ी संख्या में होती है। वह साउथ के रहने वाले हैं और यहां पर साउथ इंडियन फूड भेजते हैं अब यह उनके बेटे शेखर संभालते हैं। डोसा बनाने का प्रोसेस रमेश के डोसे का जादू उनकी रेसिपी में छिपा है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है डोसा के घोल बनाने तैयारी सूजी और मूंग की दाल से बनता है डोसे का घोल, सबसे पहले सूजी और मूंग की दाल को बारीक पीस लिया जाता है। फिर इसमें पानी मिलाकर एक गाढ़ा घोल तैयार किया जाता है। इस घोल को कुछ घंटों के लिए रखा जाता है ताकि यह अच्छे से फर्मेंट हो जाए। यही घोल डोसे को वो क्रिस्पी और सुनहरा जादू देता है। आलू की पिट्ठी (मसाला) उबले आलू, भिगोई हुई चने की दाल, लाल मिर्च, गरम मसाला, धनिया पाउडर, हल्दी, लौंग, इलायची, और थोड़ा सा चना दाल। उबले आलू को बारीक मैश किया जाता है। साथ ही भिगोई हुई चने की दाल को उबालकर पीस लिया जाता है। अब एक पैन में तेल गर्म करके उसमें लाल मिर्च, गरम मसाला, धनिया, हल्दी, लौंग, इलायची और चना दाल डालकर तड़का लगाया जाता है। इस तड़के को मैश किए आलू और पीसी चने की दाल के साथ मिलाकर एक चटपटा मसाला तैयार किया जाता है। ये मसाला डोसे की जान है, जो हर बाइट को लाजवाब बनाता है। सांभर के स्वाद का साउथ इंडियन तड़का चने की दाल, टमाटर, इमली का पानी, सरसों का तेल, सूखी मिर्च, सरसों, राई, और कड़ी पत्ता। चने की दाल और टमाटर को अलग-अलग उबाला जाता है। फिर इन्हें इमली के पानी के साथ मिलाया जाता है। इ सके बाद सरसों के तेल में सूखी मिर्च, सरसों, राई और कड़ी पत्ते का तड़का लगाकर सांभर को वो खास स्वाद दिया जाता है। ग्राहक कहते हैं, इस सांभर में “नशा” सा है! नारियल की चटनी: स्वाद का साथी नारियल, भुनी चने की दाल, हरी मिर्च। भुनी चने की दाल, ताजा नारियल और हरी मिर्च को बारीक पीसकर एक मुलायम चटनी बनाई जाती है। ये चटनी डोसे के स्वाद को और भी रंगीन बना देती है। डोसा बनाने को प्रोसेस गर्म तवे पर डोसा घोल को कटोरी से गोल-गोल फैलाया जाता है। सुनहरा और क्रिस्पी होने तक इसे सेका जाता है। फिर इसके बीच में आलू और चने की दाल का मसाला डाला जाता है, जिसमें टमाटर, प्याज और हरा धनिया मिलाया जाता है। डोसे को फोल्ड करके बीच से काटा जाता है और गर्मा-गरम सांभर, घी और नारियल की चटनी के साथ परोसा जाता है। रमेश के आउटलेट्स पर मसाला डोसा, बटर पनीर डोसा, पनीर डोसा, उत्तपम और इडली जैसे व्यंजन भी मिलते हैं। हर डिश में वही साउथ इंडियन जायका है, जो दिल को छू जाता है। ग्राहकों का रिव्यू
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