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    प्रयागराज में सड़क पर उतरे सैकड़ों शिक्षक,VIDEO:TET अनिवार्यता के विरोध में धरना, बोले-हमे न्याय चाहिए, ये कैसे नियम

    12 hours ago

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    प्रयागराज में मंगलवार को उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। TET अनिवार्यता को लेकर दिए गए निर्णय के विरोध में शिक्षक हजारों की संख्या में जिला अधिकारी कार्यालय का घेराव किया। यह कार्यक्रम प्रदेश नेतृत्व के आवाहन पर पूरे प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर एक साथ आयोजित किया गया। दोपहर 2:30 बजे से ही जिला परिषद कार्यालय परिसर में एकत्र होने लगे थे। सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं अपने-अपने ब्लॉक के बैनरों के साथ पहुंचे और परिसर को पूरी तरह भर दिया। प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने हाथों में तख्तियां लेकर सरकार के निर्णय के विरोध में नारेबाजी की और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्पन्न भ्रम की स्थिति को लेकर नाराजगी जताई। प्रदर्शन का नेतृत्व संघ के जिलाध्यक्ष देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने कहा कि 31 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा TET को शिक्षक नियुक्ति के लिए अनिवार्य ठहराए जाने के बाद से शिक्षकों के भविष्य को लेकर गंभीर अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने बताया कि कई शिक्षक मानसिक तनाव का शिकार हो गए हैं, और कुछ ने आत्महत्या जैसा दुखद कदम भी उठाया है। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षक नियुक्ति के समय निर्धारित योग्यताओं को पूरा करते हैं। ऐसे में, जब वे वर्षों से शिक्षा के साथ-साथ निर्वाचन, जनगणना और आपातकालीन कार्यों में सरकार का सहयोग करते आ रहे हैं, तो अब उनके सामने TET अनिवार्यता थोपना पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। जिला मंत्री शिव बहादुर सिंह ने प्रदर्शन का संचालन करते हुए बताया कि यह ज्ञापन प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग करता है ताकि शिक्षकों को राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ पूरी तरह से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांग सरकार के समक्ष रख रहा है। नीरज सिंह अध्यापक नें बताया की सब जितने शिक्षक है सबको TET पास करने की का निर्णय है क्या उचित है? आज से 20 -25 साल से नौकरी कर रहे हैं उनके लिए नया नियम बना के हम लोग को बाहर करने का इरादा है क्या ? अगर ऐसा है तो सरकार तो बता दें। उन्होंने से आरोप लगाया की जब हम अध्यापकों की नियुक्ति हुई थी उसमें हम पास होकर आयें हैं 2011 से यह अनिवार्यता लागू हुई है। अमित चन्द्र मौर्या बहरिया ब्लाक शिक्षक उन्होंने ने कहा की जो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज 10-20 साल नौकरी करने के बाद पुनः नए बच्चों के साथ परीक्षा कराया जाये तो जज बन पाएंगे ? आज के 15 -20 साल पहले जो अनिवार्यता थी उस हिसाब से सब अध्यापक बने थे क्या सही नहीं था? जिस जज ने यह फैसला सुनाया है क्या उसी जज को नए बच्चों के साथ बैठ के एग्जाम देकर जज बनना होगा तो कितना सही है ? रश्मि शर्मा मुबारकपुर की अध्यापक ने बताया की अचानक से यह इतने साल जॉब करने के बाद यह नियम सही नही है हम लोग दिन भर बच्चों को पढ़ाते हैं फिर घर का कार्य करना, बच्चों को पढ़ाएंगे या खुद को पढ़ाएंगे ?
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