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    सिद्धार्थनगर में सड़कों पर उतरे हजारों शिक्षक:टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ प्रदर्शन कर बेसिक शिक्षा कार्यालय से कलेक्ट्रेट तक मार्च, PM को भेजा ज्ञापन

    11 hours ago

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    सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए भी टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) को अनिवार्य किए जाने के आदेश के खिलाफ मंगलवार को सिद्धार्थनगर में बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ।उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले हजारों शिक्षक बीएसए कार्यालय से लेकर कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च करते हुए सड़कों पर उतरे। जोरदार नारेबाजी के बीच उन्होंने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। क्या है शिक्षकों की मांग... 25 अगस्त 2010 से पहले भारत सरकार और 29 जुलाई 2011 से पहले यूपी सरकार के अधीन नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जाए। वर्षों से सेवा दे रहे शिक्षकों को सेवारत रहने व पदोन्नति के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य न किया जाए। केंद्र और राज्य सरकार इस संबंध में जल्द स्पष्ट निर्देश जारी करें, ताकि शिक्षकों के भविष्य पर संकट न खड़ा हो। बीएसए कार्यालय से कलेक्ट्रेट तक शिक्षकों का हुजूम मंगलवार दोपहर 3 बजे जिलेभर से आए शिक्षक बीएसए कार्यालय पर जुटे। देखते ही देखते हजारों की संख्या में शिक्षक इकट्ठा हो गए।भीड़ “टीईटी का फैसला वापस लो”, “पुराने शिक्षकों का हक मत छीनो”, “शिक्षक सम्मान बचाओ” जैसे नारों के साथ मेडिकल कॉलेज, पुलिस लाइन होते हुए कलेक्ट्रेट तक पहुंची। जिलाध्यक्ष बोले- फैसला भविष्य से खिलवाड़ जिलाध्यक्ष राधेरमण त्रिपाठी ने कहा कि 1 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, वह शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 और एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के खिलाफ है। अधिसूचना में साफ लिखा है कि अधिनियम लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी देने से छूट मिलेगी। अब पुरानी नियुक्तियों पर यह नियम लागू करना अनुचित है।”उन्होंने कहा कि इस फैसले से हजारों शिक्षक चिंतित और आक्रोशित हैं। मंत्री योगेंद्र पांडेय बोले –लाखों शिक्षक तनाव में संघ के मंत्री योगेंद्र पांडेय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लाखों शिक्षकों के भविष्य पर गहरा असर डालेगा। शिक्षक वर्ग पहले ही कई समस्याओं से जूझ रहा है, अब यह आदेश निराशा और तनाव को और बढ़ाएगा। सरकार को तुरंत स्पष्ट निर्देश जारी करना चाहिए। माध्यमिक शिक्षक संघ ने भी दिया समर्थन माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राम बेलास यादव और मंत्री हृदय नारायण मिश्रा ने कहा कि वर्षों से सेवा दे रहे शिक्षकों को अचानक नए मानकों में बांधना अनुचित है। यह आदेश शिक्षकों की मेहनत और समर्पण को नजरअंदाज करता है। सरकार को पुराने शिक्षकों को छूट देनी चाहिए। शिक्षकों ने कहा कि हमने दशकों से हजारों बच्चों को पढ़ाया। अब अचानक कहा जा रहा है कि दो साल में टीईटी पास करो वरना नौकरी जाएगी। यह अन्याय है। शांतिपूर्ण रहा प्रदर्शन, प्रशासन सतर्क प्रदर्शन में जिला कार्यसमिति, सभी ब्लॉकों के पदाधिकारी और हजारों शिक्षक शामिल हुए। कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन सौंपा गया। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन सतर्क रहा। शिक्षक नेताओं ने स्पष्ट कहा कि यदि केंद्र और प्रदेश सरकार ने जल्द निर्देश जारी नहीं किए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू किया गया तो आंदोलन और उग्र होगा और लाखों शिक्षक सड़कों पर उतरेंगे।
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