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    Shaurya Path: Morocco में Defence Manufacturing Unit लगा कर भारत ने दुनिया को अपनी धाक दिखा दी है

    2 hours from now

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    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मोरक्को यात्रा और वहां Tata Advanced Systems Limited (TASL) की नई अत्याधुनिक रक्षा विनिर्माण इकाई का उद्घाटन न केवल भारत-मोरक्को रिश्तों में ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि यह भारत की वैश्विक रक्षा क्षमताओं और रणनीतिक विस्तार का भी प्रतीक है। 23 सितंबर को बरेचिद में उद्घाटन किए गए इस प्रतिष्ठान ने कई मायनों में भारत के रक्षा क्षेत्र में “मेक इन इंडिया” को अंतरराष्ट्रीय आयाम प्रदान किया है।यह 20,000 वर्ग मीटर में फैली सुविधा भारतीय डिजाइन और प्रौद्योगिकी वाले Wheeled Armoured Platform (WhAP) 8×8 का उत्पादन करेगी, जिसे TASL और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने मिलकर विकसित किया है। WhAP 8×8 एक अत्यंत लचीला और मॉड्यूलर युद्ध वाहन है, जो पैदल सेना से लेकर टोही, कमांड पोस्ट, मोर्टार वाहक और एम्बुलेंस तक कई भूमिकाओं में कार्य करने में सक्षम है। इसकी विशेषताएँ— मोनोकोक हुल, स्केलेबल बैलिस्टिक एवं माइंड सुरक्षा, स्वतंत्र सस्पेंशन और उच्च शक्ति वाला इंजन, इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाते हैं।इसे भी पढ़ें: अखंड भारत का संकल्प! राजनाथ सिंह बोले - PoK स्वयं कहेगा, 'मैं भारत हूँ'भारत और मोरक्को के बीच इस रक्षा संबंध का सामरिक महत्व कई स्तरों पर देखा जा सकता है। पहला, मोरक्को का भौगोलिक महत्व। यह अफ्रीका और यूरोप के प्रवेश द्वार पर स्थित है, जिससे यह सुविधा केवल मोरक्को की सुरक्षा को मजबूत नहीं करेगी, बल्कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग का केंद्र भी बनेगी। दूसरी ओर, यह भारत के लिए अफ्रीका में रक्षा और औद्योगिक पैठ बनाने का पहला कदम है। TASL की यह इकाई न केवल मोरक्को के लिए, बल्कि निकट भविष्य में अफ्रीका और यूरोप के देशों के लिए निर्यात हब के रूप में कार्य करेगी।रक्षा क्षेत्र में यह साझेदारी भारत की “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक विथ फ्रेंड्स” नीति का प्रतीक भी है। राजनाथ सिंह ने उद्घाटन समारोह में स्पष्ट किया कि भारत की आत्मनिर्भरता का मतलब अलगाव नहीं है; यह रणनीतिक स्वतंत्रता हासिल करने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का मार्ग है। देखा जाये तो भारतीय कंपनी का यह पहला रक्षा निर्माण प्रतिष्ठान अफ्रीका में स्थापित होना, भारत की वैश्विक रक्षा क्षमता और तकनीकी नेतृत्व को रेखांकित करता है।इसके अलावा, दोनों देशों के बीच हाल ही में हुए रक्षा समझौते (MoU) का महत्व भी कम नहीं है। यह समझौता केवल युद्ध उपकरण के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है; इसके तहत संयुक्त प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, रक्षा उद्योग सहयोग और तकनीकी साझेदारी को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे दोनों देशों की सेनाएँ उच्च तकनीक वाले युद्ध अभियानों के लिए तैयार होंगी और यह संयुक्त सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा।हम आपको बता दें कि भारत-मोरक्को रक्षा सहयोग का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। अफ्रीकी और यूरोपीय बाजारों में भारतीय रक्षा तकनीक की विश्वसनीयता बढ़ेगी। यह न केवल रक्षा निर्यात में वृद्धि करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की रणनीतिक भूमिका को मजबूत करेगा। इससे अफ्रीका में भारत की रणनीतिक उपस्थिति बढ़ेगी और वैश्विक सुरक्षा और शांति में भारत की भागीदारी को नए अवसर मिलेंगे।देखा जाये तो TASL की इस इकाई का संदेश स्पष्ट है: भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता और निर्यातक भी है। मोरक्को में पहली भारतीय निजी रक्षा निर्माण इकाई का खुलना यह संकेत देता है कि भारत का वैश्विक रक्षा उद्योग अब व्यापक सहयोग और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की ओर अग्रसर है। स्थानीय घटकों की 33% हिस्सेदारी के साथ उत्पादन की शुरुआत, जो भविष्य में 50% तक बढ़ेगी, यह दर्शाती है कि यह परियोजना मोरक्को की स्थानीय अर्थव्यवस्था और कौशल विकास में भी योगदान देगी। रोजगार सृजन और स्थानीय क्षमता निर्माण के साथ-साथ यह मॉडल शांति और स्थिरता के लिए एक वैश्विक उदाहरण बनेगा।इस साझेदारी का दीर्घकालिक लाभ भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक दोनों होगा। रणनीतिक रूप से, यह रक्षा औद्योगिक आधार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करता है और अफ्रीकी महाद्वीप में भारत की उपस्थिति बढ़ाता है। आर्थिक रूप से, यह रक्षा निर्यात को बढ़ावा देगा और भारतीय कंपनियों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा का अवसर देगा।कहा जा सकता है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मोरक्को यात्रा और TASL की नई उत्पादन इकाई केवल औपचारिक उद्घाटन नहीं हैं। यह भारत-मोरक्को संबंधों में एक नई रणनीतिक गहराई, वैश्विक रक्षा सहयोग में विस्तार, और भारत की अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा भूमिका को मजबूती प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम दिखाता है कि कैसे “आत्मनिर्भरता” और “अंतरराष्ट्रीय सहयोग” को संयुक्त रूप से अपनाकर भारत न केवल अपने हितों की रक्षा कर सकता है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता में भी योगदान दे सकता है।
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