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    आज से शुरू हो रही ऐतिहासिक रामलीला:मुगलों के जमाने से चली परंपरा, देश की तीसरी सबसे प्राचीन 458वीं रामलीला का शुभारम्भ

    11 hours ago

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    बरेली की पहचान बन चुकी ऐतिहासिक रामलीला का शुभारम्भ आज मंगलवार से होने जा रहा है। यह वही रामलीला है, जो मुगलों और ब्रिटिश शासन के दौर में भी अनवरत चलती रही। इस बार 458वीं रामलीला का मंचन अयोध्या से आए कलाकार करेंगे। आयोजन समिति ने प्रेस वार्ता कर इसके कार्यक्रमों और ऐतिहासिक महत्व की जानकारी दी। 457 वर्षों से अनवरत जारी परंपरा श्री रानी महालक्ष्मी बाई रामलीला समिति, चौधरी मोहल्ला के तत्वावधान में यह रामलीला विगत 457 वर्षों से निरंतर होती आ रही है। इस बार भी परंपरा के अनुसार 16 सितम्बर 2025 की शाम 7 बजे चौधरी तालाब स्थित रामलीला मैदान में गणेश पूजन के साथ शुभारंभ होगा। उद्घाटन समारोह में होंगे प्रमुख अतिथि रामलीला की शुरुआत भव्य समारोह के साथ होगी। इसमें सांसद छत्रपाल गंगवार, वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण कुमार, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य, मेयर डॉ. उमेश गौतम, जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल, विधायक संजीव अग्रवाल, पूर्व एमएलसी बहोरन लाल मौर्य समेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांतीय पदाधिकारी और अलखनाथ मंदिर के महंत कालू गिरी व तुलसी मठ के महंत नीरज नयनदास भी शामिल रहेंगे। अध्यक्षता समिति प्रमुख पंडित रामगोपाल मिश्रा करेंगे। पहले दिन शिव-पार्वती विवाह का मंचन आज पहले दिन के मंचन में सती मोह, दक्ष यज्ञ, सती का अग्नि में भस्म होना, पार्वती जन्म, शिव-पार्वती विवाह, शिव-पार्वती संवाद और भव्य झांकी का मंचन अयोध्या से आए कलाकारों द्वारा किया जाएगा। उत्तर भारत की तीसरी सबसे प्राचीन रामलीला समिति अध्यक्ष पंडित रामगोपाल मिश्रा ने बताया कि उत्तर भारत की प्राचीनतम रामलीलाओं में बरेली की यह रामलीला तीसरे स्थान पर है। पहली रामलीला अयोध्या और दूसरी काशी (रामनगर) में शुरू हुई थी। तीसरी रामलीला 1624 संवत में लखना स्टेट के राजा जयचंद्र ने शुरू कराई थी। तब से यह परंपरा निरंतर जारी है। अनोखी परंपरा : तीन अलग-अलग स्थानों पर मंचन इस रामलीला की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंचन अलग-अलग तीन स्थानों पर होता है। लगातार 19 दिन तक चलने वाली यह रामलीला धार्मिक आस्था के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहर को भी जीवित रखती है। गंगातट पर सजीव होगा राम-केवट संवाद 24 सितम्बर को गंगापार विशेष मंचन होगा। यहां भगवान राम और केवट संवाद का सजीव मंचन होगा। रामायण के अनुसार वनवास के दौरान गंगा पार कराने के समय राम-केवट का संवाद हुआ था। इसका अद्भुत दृश्य हर साल दर्शकों को आकर्षित करता है। रामबारात और दशहरा महोत्सव 22 सितम्बर को दोपहर 3 बजे चौधरी मोहल्ला स्थित श्री रानी साहब फाटक से भगवान श्रीराम की बारात निकलेगी। यह शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए चौधरी तालाब पहुंचेगी, जहां विवाहोत्सव सम्पन्न होगा। 2 अक्टूबर को बड़ा बाग मैदान में भव्य दशहरा महोत्सव होगा। 3 अक्टूबर को राजगद्दी शोभायात्रा और भरत मिलाप का आयोजन किया जाएगा। 4 अक्टूबर को रामराज्याभिषेक के साथ रामलीला का समापन होगा। ऐतिहासिक महत्व से जुड़ी दास्तान समिति अध्यक्ष राम गोपाल मिश्रा ने बताया कि यह रामलीला ऐसे समय शुरू हुई थी जब मुगल शासन में हिंदू संस्कृति खतरे में थी। उस दौर में अयोध्या से रामलीलाओं की परंपरा शुरू हुई। बाद में काशी की रामनगर और फिर बरेली की यह रामलीला अस्तित्व में आई।लखना स्टेट के राजा जयचंद्र के वंशज बसंत राव शुक्ला को चौधरी की उपाधि मिली थी और उन्होंने चौधरी मोहल्ला बसाया। रानी साहब फाटक उनकी पत्नी के नाम से बना, जो आज भी इस रामलीला की पहचान है। विस्तृत कार्यक्रम (मुख्य झलकियां) चौधरी तालाब पर (16–23 सितम्बर) बड़ा बाग मैदान पर (24 सितम्बर–2 अक्टूबर) रानी साहब फाटक पर (3–4 अक्टूबर) शोभायात्राएं बनेंगी मुख्य आकर्षण 22 सितम्बर की रामबारात और 3 अक्टूबर की राजगद्दी शोभायात्रा शहर की गलियों और प्रमुख बाजारों से होकर निकलेगी। मार्ग में जगह-जगह मंच बनाकर स्वागत किया जाएगा। शोभायात्रा के दौरान धार्मिक उत्साह के साथ सांस्कृतिक झांकियां भी देखने को मिलेंगी। समिति की भूमिका और प्रबंधन प्रेस वार्ता के दौरान समिति अध्यक्ष रामगोपाल मिश्रा के साथ उपाध्यक्ष हरीश शुक्ला, घनश्याम मिश्रा, महामंत्री श्रीनारायण दीक्षित, महाप्रबंधक श्रेयांश बाजपेयी, मीडिया प्रभारी शशिकांत गौतम, मेला प्रबंधक हर्ष अग्रवाल और अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे। सभी ने व्यवस्थाओं की जानकारी साझा की। बरेली की धार्मिक पहचान बनी रामलीला 458 वर्षों से चल रही यह रामलीला न सिर्फ बरेली की धार्मिक परंपरा को जीवित रखे हुए है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी बन चुकी है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होते हैं। इस बार भी रामलीला मैदान, बड़ा बाग और चौधरी मोहल्ला रामभक्ति और भव्य झांकियों का केंद्र बनेगा।
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