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    अयोध्या में 136 साल पुरानी रामलीला का आगाज:नारद मोह और रावण अत्याचार का मंचन, आधुनिक तकनीक से सजी प्रस्तुति

    2 hours ago

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    अयोध्या के रुदौली में ऐतिहासिक ख्वाजा हाल रामलीला का मंचन 22 सितंबर से रात से शुरू हो गया है। इस रामलीला में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। पहले दिन कलाकारों ने नारद मोह, रावण अत्याचार और पृथ्वी व्यथा का मंचन किया। नारद मोह प्रसंग में देवर्षि नारद के अहंकार की कथा दिखाई गई। भगवान विष्णु ने विश्वमोहिनी के स्वयंवर में नारद को बंदर का रूप देकर उनका अहंकार तोड़ा। रावण अत्याचार में दिखाया गया कि कैसे रावण ने देवलोक और पृथ्वी लोक में धार्मिक अनुष्ठानों में बाधा डाली। इस वर्ष रामलीला में 3डी मैपिंग, विजुअल इफेक्ट्स और नए साउंड सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। रुदौली की यह रामलीला 136 साल पुरानी है। 1984 में भैरव धाम में पूर्व विधायक आचार्य श्रीराम देव वैश्य ने इसकी स्थापना की थी। कलाकारों की उम्र 8 से 70 वर्ष के बीच है इस वर्ष लगभग 100 कलाकार रामलीला में भाग ले रहे हैं। इनमें 60 वयस्क पुरुष और 40-45 बाल कलाकार शामिल हैं। कलाकारों की उम्र 8 से 70 वर्ष के बीच है। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मीपति अग्रवाल के अनुसार, सभी कलाकारों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। यह रामलीला न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। हर साल हजारों श्रद्धालु इसे देखने आते हैं। पिछले 41 वर्षों से यह आयोजन निरंतर हो रहा है। यह रामलीला 41 वर्षों से निरंतर चली आ रही रामलीला के निर्देशक कमलेश मिश्रा और सह-निर्देशक मृदुल अग्रवाल की देखरेख में होने वाले मंचन में सरल संवाद, दोहे और चौपाइयों का प्रयोग होगा। नगर के भैरव धाम में आयोजित होने वाली यह रामलीला 41 वर्षों से निरंतर चली आ रही है। इसकी स्थापना 1984 में पूर्व विधायक आचार्य श्रीराम देव वैश्य ने की थी। वर्तमान में अवध बिहारी कौशल, संतोष कुमार राठौर, प्रियांशु गुप्ता और शुभम राठौर निर्देशक के रूप में कार्यरत हैं। वहीं, दूसरी और नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का पंडालों में भक्तों ने विधि विधान पूजा अर्चना और आरती की कुछ स्थानों पर लोगों द्वारा भजन कीर्तन भी देर रात तक प्रस्तुत किया जाता रहा।
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