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    गांवों में 24 घंटे बिजली नहीं, तो 10% रिबेट मिले:कंज्यूमर राइट्स रूल 2020 लागू होने के बाद भी यूपी में रोस्टर सिस्टम कैसे लागू

    6 hours ago

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    देश में कंज्यूमर राइट्स रूल 2020 लागू होने के बावजूद यूपी के गांवों में 24 घंटे बिजली अब भी सपना बना हुआ है। पर्याप्त बिजली की उपलब्धता होने पर भी यूपी में रोस्टर सिस्टम लागू है। जब घोषित तौर पर ग्रामीणों को 24 घंटे बिजली नहीं दी जा रही है तो उन्हें बिजली बिल पर 10 प्रतिशत रिबेट देना चाहिए। फुल कास्ट टैरिफ पर चर्चा दुर्भाग्यपूर्ण उत्तर प्रदेश उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह की पांचवीं बैठक में फुल कॉस्ट टैरिफ पर चर्चा की आलोचना की है। परिषद ने फुल कास्ट टैरिफ पर चर्चा और निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों के घाटे के कारण निवेश न आने की चर्चा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। परिषद का कहना है कि यह पूरी तरह निजी घरानों के लिए मैदान तैयार करने जैसा है। और आम उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी हो रही है। उत्तर प्रदेश में पहले से फुल कॉस्ट टैरिफ लागू है। बावजूद गांवों में 24 घंटे बिजली नहीं दी जा रही है। ऐसे में ग्रामीणों को बिजली बिलों पर 10 प्रतिशत रिबेट मिलना चाहिए। निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने वाली योजना पर केंद्रित रही बैठक परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्रीय बैठक में नियामक आयोग द्वारा समय पर बिजली दर निर्धारण के साथ ही वितरण निगमों के घाटे से निजी निवेश कम आकर्षक हो जाने पर चर्चा हुई। लेकिन पूरी चर्चा निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने वाली योजना पर केंद्रित रही। यह सिद्ध करता है कि बैठक में उपभोक्ताओं के बजाय निजी घरानों को कैसे फायदा पहुंचाया जाए, इस पर जोर दिया गया, जो अपने आप में शर्मनाक है। यूपी देश का पहला राज्य जहां, रोस्टर सिस्टम लागू वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां आज भी रोस्टर सिस्टम लागू है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आज भी 18 घंटे ही बिजली देने का नियम बनाया गया है। हालांकि इस रोस्टर के अनुसार भी ग्रामीणों को बिजली नहीं मिल पा रही है। जबकि केंद्र सरकार ने कंज्यूमर राइट्स रूल 2020 लागू किया हुआ है। केंद्र और राज्य सरकार को तत्काल 24 घंटे बिजली आपूर्ति का आदेश जारी करना चाहिए। यदि ऐसा न हो, तो 24 घंटे बिजली न देने पर सट्टा मुआवजे के प्रावधान के तहत बिजली दरों में 10 प्रतिशत की रिबेट लागू की जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में 16 घंटे से कम बिजली पर मुआवजा क्यों नहीं दे रही सरकार वर्मा ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के हालिया निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 16 घंटे से कम आपूर्ति पर मुआवजा अनिवार्य है, लेकिन यूपी में इसका पालन नहीं हो रहा। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के मुताबिक प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपए सरप्लस निकल रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 में भी लगभग 3,000 करोड़ का अतिरिक्त सरप्लस आने की उम्मीद है। ऐसे में सरकार को नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए नियामक आयोग को बिजली दरों में कमी का आदेश देना चाहिए। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग कभी भी नई दरें घोषित कर सकता है। नोएडा पावर कंपनी की तर्ज पर बिजली दरों को कम करें कंपनियां नोएडा पावर कंपनी की तर्ज पर पांचों वितरण कंपनियों में दरें कम करने के लिए संवैधानिक अधिकार के तहत निर्देश जारी हों। हाल ही में ईंधन अधिभार के रूप में 1.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी को भी उन्होंने सरप्लस के बावजूद अनुचित बताया। राज्य सरकारें सब्सिडी घोषित कर चुनावी फायदा लेती हैं, लेकिन यह उपभोक्ताओं पर कोई एहसान नहीं। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 65 के तहत सब्सिडी देना अनिवार्य है। परिषद के अध्यक्ष वर्मा ने कहा, "किसानों के उत्पाद का मूल्य सरकार तय करती है, इसलिए सब्सिडी उनकी नैतिक जिम्मेदारी है।
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