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    किष्किंधा कांड प्रवचन में स्वामी अभयानंद का संदेश:सत्संग का सार अंतर्मन में धारण करें, विवेक और धैर्य से किया कार्य सच्ची भक्ति

    15 hours ago

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    लखनऊ में सत्य सनातन सत्संग सेवा समिति द्वारा आयोजित किष्किंधा कांड प्रवचन का सोमवार को समापन हुआ। महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती ने भक्तों को श्रीराम की लीलाओं से अवगत कराया। स्वामी अभयानंद ने सत्संग के महत्व को समझाते हुए गाय का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जैसे गाय पहले चरती है, फिर जुगाली करती है और सार को पचाती है। उसी प्रकार सत्संग का सार भी अंतर्मन में धारण करना चाहिए। हनुमान जी रावण की सेना को नष्ट करना चाहते थे प्रवचन में जामवंत और हनुमान जी के संवाद का विशेष उल्लेख किया गया। जामवंत ने हनुमान जी को उनकी वास्तविक शक्ति का स्मरण कराया। हनुमान जी रावण की सेना को नष्ट करना चाहते थे। लेकिन जामवंत ने उन्हें केवल सीता माता का पता लगाने का निर्देश दिया।स्वामी ने 'रामकाज लगी तव अवतारा, सुनतहि भयउ पर्वतकारा' का अर्थ समझाया। उन्होंने कहा कि हनुमान जी का जीवन श्रीराम के कार्यों के लिए समर्पित था। उन्होंने श्रोताओं को संदेश दिया कि दैवीय संपत्ति और गुणों का उपयोग समाज और धर्म की सेवा में करना चाहिए।कार्यक्रम में आयोजन समिति के अनुराग गुप्ता, आलोक गुप्ता, गुप्ता परिवार, वासुदेव पाल बारा बिरवा और समस्त डिपो समाचार पत्र विक्रेता समिति के पदाधिकारी उपस्थित रहे। भक्तों ने जय श्रीराम और बजरंग बली की जय के उद्घोष से वातावरण को भक्तिमय बनाया।
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