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    नोएडा टोल ब्रिज कंपनी को 100.71 करोड़ का नोटिस:प्राधिकरण ने सात साल के दौरान विज्ञापन का मांगा अतिरिक्त शुल्क, SC ने एग्रीमेंट पर उठाए थे सवाल

    13 hours ago

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    नोएडा प्राधिकरण ने बीते सात साल के दौरान का अतिरिक्त शुल्क मांगने के लिए टोल ब्रिज कंपनी को 100 करोड़ 71 लाख रुपये का नोटिस जारी किया है। अधिकारियों ने बताया कि अलग-अलग सड़कों के हिसाब से प्राधिकरण ने विज्ञापन के शुल्क तय कर रखे हैं। नोएडा के हिस्से में विज्ञापन लगवाने का अधिकार डीएनडी को संचालित कर रही नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के पास है। डीएनडी के संचालन के समय से ही प्राधिकरण ने यहां पर नोएडा टोल ब्रिज कंपनी से विज्ञापन शुल्क लेने के लिए कम दरें तय कर रखी थीं। इसकी वजह यह है कि डीएनडी को लेकर नोएडा प्राधिकरण व टोल ब्रिज कंपनी के बीच एग्रीमेंट हो रखा है। साल 2016 से डीएनडी टोल फ्री चल रहा है। इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने कुछ महीने पहले ही इसके एग्रीमेंट को लेकर सवाल भी उठाए थे। 2018 से 2025 तक मांगा अतिरिक्त बकाया दस साल से डीएनडी के टोल फ्री होने समेत अन्य वजहों के चलते अब नोएडा प्राधिकरण ने टोल ब्रिज कंपनी को विज्ञापन का अतिरिक्त शुल्क लेने के लिए नोएडा टोल ब्रिज कंपनी को नोटिस जारी किया है। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि नोटिस के जरिए अप्रैल 2018 से अप्रैल 2025 का अतिरिक्त बकाया मांगा है। 500 रुपए प्रति स्कवायर फिट से मांगा पैसा अधिकारियों ने बताया कि टोल ब्रिज कंपनी अभी 125 रुपए स्कवायर फिट के हिसाब से नोएडा प्राधिकरण को विज्ञापन लगवाने का भुगतान कर रही है। अब बीते सालों में दो-तीन बार विज्ञापन के रेट में इजाफा किया है। इस समय डीएनडी जैसी मुख्य सड़क पर विज्ञापन का शुल्क 500 रुपए प्रति स्कवायर फिट है। इसी हिसाब से गणना करते हुए नोएडा टोल ब्रिज कंपनी से पिछले सात साल का बकाया मांगा गया है। नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक विश्वास त्यागी ने बताया कि टोल ब्रिज कंपनी को बकाया जमा करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। बकाया नहीं देने पर होगी कार्रवाई तय समय में बकाया नहीं देने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। प्राधिकरण की जांच में सामने आया कि टोल ब्रिज कंपनी डीएनडी पर अलग-अलग कंपनियों के होर्डिंग्स लगवाकर अधिक मुनाफा कमाती है लेकिन नोएडा प्राधिकरण को न्यूनतम दर से भी भुगतान करती आ रही है। गौरतलब है कि डीएनडी के आसपास काफी खाली जमीन पड़ी है। कुछ साल पहले तक करीब 300 एकड़ से अधिक जमीन खाली पड़ी थी। खाली जमीन का सटीक आंकलन करने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने सर्वेक्षण कराने का निर्णय ले रखा है।
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