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    न्याय नहीं मिला तो यहीं पर दे दूंगी अपनी जान:शीतल बोली- अफसर क्या कार्रवाई कर रहे बताने को तैयार नहीं, इकलौता सहारा छीन लिया

    2 hours ago

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    मेरठ के सिवालखास में हुई तीन बच्चों की मौत के मामले में परिजनों का सब्र जवाब देने लगा है। उन्हें न्याय की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। बुधवार को यह तीनों परिवार एसएसपी से मिलने पहुंचे तो वहां भी निराशा हाथ लगी। एसएसपी से मुलाकात नहीं हुई और सीओ ने जांच चलने की बात कहकर परिवार को लौटा दिया। दफ्तर से बाहर निकली शिवांश की मां फफक कर रोने लगी। रोते हुए बोली- उनका दर्द कोई समझने को तैयार नहीं है। न्याय नहीं मिला तो वह यहीं पर अपनी जान दे देगी। इकलौता बेटा जीने का सहारा था, उसे भी किसी ने छीन लिया। पानी में तैरते मिले थे तीनों बच्चों के शव 3 अगस्त को सिवालखास के रहने वाले ऋतिक, मानवी और शिव उर्फ शिवांश नाम के बच्चे संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए। परिजनों ने पूरी रात तीनों को ढूंढा लेकिन कुछ पता नहीं चला। अगली सुबह खाली प्लॉट में भरे एक फिट पानी में तीनों के शव मिलने के बाद सनसनी फैल गई। परिजनों ने हत्या का आरोप लगा हंगामा कर दिया। एक साथ तीन बच्चों की मौत से सनसनी फैल गई। शुरुआत में पुलिस मामले को हादसे से जोड़कर देखती रही लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो खलबली मच गई। मानवी की गर्दन की हड्‌डी टूटी हुई थी और कई जगह चोट के निशान थे। इस रिपोर्ट के आने के बाद मामला पूरी तरह उलझता चला गया। खुलासे की तमाम कोशिश हुई नाकाम तीन बच्चों की मौत की सूचना पर अगले ही दिन एडीजी, डीआईजी और एसएसपी गांव पहुंच गए। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया। साथ ही पीड़ित परिवारों से भी मुलाकात कर उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया। पुलिस की सात टीमें सप्ताह भर अलग अलग बिंदुओं पर जांच करती रही लेकिन कुछ हाथ नहीं आया। एफएसएल टीम ने घटनास्थल से कुछ चीजें बरामद करने के बाद डीएनए जांच की पैरवी की। परिवार समेत काफी लोगों के नमूने जांच के लिए उठाए गए। सभी को जांच के लिए भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट 50 दिन बाद भी नहीं आई है। एसएसपी से मिलने पहुंचे परिवार के लोग लोकल पुलिस से कोई जवाब ना मिलता देख बुधवार को तीनों बच्चों के परिजन एसएसपी से मिलने पहुंचे। करीब एक घंटे इंतजार करना पड़ा। नंबर आया तो तब तक एसएसपी डा. विपिन ताडा उठ चुके थे। सीओ ऑफिस संतोष कुमार सिंह ने जांच प्रचलित होने की बात कहकर परिवार को चलता कर दिया। बाहर आते ही तीनों परिवारों का गुस्सा फूट पड़ा। इन परिवारों ने कहा कि पुलिस पहले ही दिन से लापरवाही बरतती आ रही है। लोगों ने एक अंजान चेहरे का जिक्र किया था, जिसको पुलिस अभी तक ढूंढ नहीं पाई है। शीतल बोली- मेरा तो परिवार ही उजड़ गया बेटे शिवांश को खोने वाली शीतल सदमें से उबर नहीं पाई है। हर वक्त शिवांश का चेहरा नजरों के सामने घूमता रहता है। खाना पीना सब छोड़ दिया है। परिवार के अन्य लोगों ने खूब समझाने की कोशिश की लेकिन वह अपने बेटे के हत्यारे को देखना चाहती हैं। अफसरों से कोई उचित जवाब ना मिलने पर वह बिलखने लगी। बोली- गरीब का कोई सहारा नहीं है। पुलिस मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। अगर जल्दी उसके बेटे को न्याय नहीं मिला तो वह यहीं आकर अपनी जिंदगी खत्म कर लेगी। 50 दिन बाद भी पुलिस के पास जवाब नहीं इन परिवारों के साथ मौजूद रहे शीषपाल ने कहा कि 50 दिन से ज्यादा बीच गए हैं। परिवार थाने जाता है तो कोई उचित जवाब नहीं मिलता। अफसरों के पास जाते हैं तो वह भी बहाने बनाकर टरका देते हैं। पूरे इलाके में अभी तक दहशत है। लोग अपने बच्चों को शाम होते ही घर से निकलने नहीं देते हैं। जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया है, उनके घर अभी तक भी मातम पसरा है। हर किसी का केवल यही सवाल है कि आखिर उनके मासूम बच्चों को किसने मारा।
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