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    पुलिस रिमांड में डॉ.उदय बोला-BJP नेता को मार डाला:मेरी बीवी से अफेयर था, लाश को न्यूड कर देता तो पकड़ा ही नहीं जाता

    3 hours ago

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    'हां...मैंने ही उसे (रणधीर) मार दिया। वो इसी लायक था। उसकी लाश घर वालों को मिलनी नहीं चाहिए थी। उसके शव के और टुकड़े हो जाते तो पहचान ही नहीं हो पाती। मुझसे बस एक गलती हो गई। लाश से कपड़े नहीं हटाए। न्यूड कर देता, तो मैं पकड़ा नहीं जाता।' यह कबूलनामा उस डॉ. उदय का है, जिसने पूर्व जिला पंचायत सदस्य और भाजपा नेता रणधीर यादव की हत्या की। पुलिस ने सोमवार को उसे और उसके चचेरे भाई विजय यादव को 12 घंटे की रिमांड पर लिया। पुलिस ने दोनों से पूछताछ की। मर्डर करने के पीछे की वजह को जाना। डॉ. उदय ने कहा- उसके घरवाले भी तड़प-तड़पकर ऐसी ही मौत मरे। ताकि लोगों को पता चले कि बुरे काम के बुरे नतीजे होते हैं। आरोपी कैसे रणधीर को स्कॉर्पियो से लेकर गए? कहां मर्डर किया? फिर रेलवे ट्रैक पर कैसे रखा? पुलिस ने सीन रीक्रिएट किया। शाम को दोनों आरोपियों को मेडिकल कराने के बाद जेल में दाखिल कर दिया गया। 12 घंटे तक पूछताछ हुई, बोला- उसने दोस्ती में दगा दिया नवाबगंज पुलिस की रिमांड पर दोनों आरोपी सुबह छह बजे से शाम पांच बजे तक रहे। सुबह पुलिस ने नैनी सेंट्रल जेल से उदय और विजय की सुपुर्दगी ली। बेली अस्पताल में दोनों का मेडिकल कराया। फिर दोनों को नवाबगंज थाने में लाया गया। यहां पुलिस अधिकारियों ने पहले उदय यादव से पूछताछ की। पुलिस ने सवाल किया- रणवीर को क्यों मारा, उससे तुम्हारी क्या दुश्मनी थी? उदय ने जवाब दिया (गुस्से में) वो मेरा दोस्त, उसने दोस्ती में दगा किया। समाज में मेरी प्रतिष्ठा को धूमिल कर दिया। वैसे वह इसी के काबिल था कि उसे तड़पा-तड़पाकर मारा जाए। उदय बोला- मोबाइल के भी टुकड़े हो गए होंगे, राइफल मेरे पास नहीं पुलिस ने दूसरा सवाल किया, रणवीर का मोबाइल और उसकी लाइसेंसी राइफल कहां है? उदय ने जवाब दिया, उसका मोबाइल कहां है, मुझे नहीं पता। जैसे लाश के टुकड़े हुए वैसे मोबाइल के भी टुकड़े हो गए होंगे। लाइसेंसी राइफल के बारे में मैं नहीं जानता। मैंने जब उसका अपहरण किया था तो राइफल स्कार्पियो में थी। अब कहां है, मैं नहीं जानता। मगर मेरे पास नहीं है। उदय बोला- इससे अधिक मुझे और कुछ नहीं कहना, मैं अपने बयान जेल में दे चुका हूं। अब कोर्ट में जवाब दूंगा। इसके बाद विजय से पुलिस ने सवाल किए। फिर दोनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई। विजय यादव ने कहा- उदय ने जो कहा, वो सब सच है। उसका मोबाइल मैं नहीं ले गया। राइफल के बारे में मैं नहीं जानता। इसके बाद पुलिस दोनों को हथिगहां के उस स्पाट पर लेकर गई। जहां से उदय और उसके साथी स्कॉर्पियो में सवार हुए थे। जहां से भाजपा नेता रणवीर का किडनैप किया था। उनके बताने के अनुसार पुलिस दोनों को फाफामऊ लेकर गई। जहां रास्ते में स्कार्पियो के अंदर भाजपा नेता की हत्या की थी। पुलिस ने मर्डर का सीन रीक्रिएट किया, नहीं मिला मोबाइल फिर दोनों को बमरौली ले जाया गया। जहां सूबेदारगंज रेलवे ट्रैक पर रणधीर की लाश रखी गई थी। पुलिस ने उस सीन को रीक्रिएट किया। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों से पूछा कि इसके बाद कौन, कहां और कैसे भागा? चित्रकूट तक किस रास्ते से गए। उसके बाद कहां-कहां होते हुए फरार हुए। इस सारे सवालों के जवाब के लिए पुलिस 12 घंटे तक उदय और विजय से पूछताछ की। 12 घंटे की पूछताछ में उदय और विजय ने गायब राइफल और भाजपा नेता के मोबाइल के बारे में कुछ नहीं बताया। पुलिस ने एक बार फिर रेलवे ट्रैक के आसपास के इलाके में छानबीन की ताकि दोनों चीजें बरामद हो जाएं, लेकिन पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा। शाम को पुलिस ने दोनों का बेली अस्पताल में मेडिकल कराया। फिर उन्हें नैनी सेंट्रल जेल पहुंचा दिया। अब नए सिरे से पुलिस राइफल और मोबाइल की तलाश करेगी। जरूरत पड़ने पर फिर से रिमांड मांगने की कोशिश होगी। नवाबगंज पुलिस ने अपहरण के बाद से रणधीर की स्कार्पियो से गायब उसके भाई की लाइसेंसी राइफल और रणधीर का मोबाइल तलाशने के लिए अदालत से उदय और विजय को रिमांड पर लिया था। रिमांड 5 दिन की मांगी गई थी, लेकिन कोर्ट ने 12 घंटे की रिमांड दी। वकील की ड्रेस में कोर्ट में सरेंडर किया था 11 दिन पहले हत्या का मुख्य आरोपी डॉ. उदय यादव ने जिला कोर्ट में सरेंडर कर दिया। बुधवार दोपहर वह वकील की ड्रेस में कोर्ट पहुंचा। सिर पर टोपी लगाई थी। यहां उसके वकील ने पहले से तैयारी कर रखी थी। वह भीड़ के बीच सीधे कोर्ट रूम में पहुंचा। जज ने उसे 14 दिन के लिए नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया। उदय के सरेंडर की जानकारी मिलते ही कर्नलगंज थाने की पुलिस समेत क्राइम ब्रांच की टीम पहुंची और उसे जेल लेकर गई। धड़ और अंडरवियर देखकर बॉडी पहचानी हमने पूछा- जब लाश नहीं मिली, तो बॉडी को आपने पहचाना कैसे? पिता राम अभिलाष ने कहा- पुलिस ने 28 अगस्त की दोपहर 2 बजे हमें नवाबगंज थाने में बुलाया था। डीसीपी ने मुझे मोबाइल में कुछ फोटो दिखाई। इसमें बेटे के शरीर का धड़ और उसकी अंडरवियर देखकर मैंने पहचाना। उन्होंने रोते हुए कहा- कौन पिता होगा, जो अपने बेटे के शरीर नहीं पहचान पाएगा। इसके बाद पुलिस वालो ने बेटे के कातिल राम सिंह के बारे में बताया। उसने कबूल किया कि कैसे मेरे बेटे को बेरहमी से उसने और उदय ने अपने साथियों के साथ मारकर शव को रेल की पटरी पर फेंक दिया था। राम अभिलाष आगे कहते हैं- मैं फौजी हूं। बेटे की हर जरूरत को पूरा करने के लिए मैंने हर संभव कोशिश की। कानपुर के कल्याण की रहने वाली बबीता से शादी की। बेटे बहू से 2 बेटियां और एक बेटा शिवाय है। उसके बच्चे मुझसे मेरे पास आकर सवाल करते है कि बाबा पापा कहां गए, कब आएंगे? अब किसको क्या बताऊं, क्या हो गया? इसके बाद वह बदहवास होकर बेटे रणधीर को याद कर फफक पड़े। अब जानिए पूरा मामला... 22 अगस्त को लापता हुए, 2 दिन बाद चित्रकूट में स्कॉर्पियो मिली प्रयागराज से पूर्व जिला पंचायत सदस्य और भाजपा नेता रणधीर यादव मोहम्मदपुर हथिगंहा के रहने वाले थे। उनके पिता राम अभिलाष यादव सूबेदार रह चुके हैं। पत्नी बबली यादव वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं। 22 अगस्त (शुक्रवार) की रात रणधीर यादव नवाबगंज बाजार में एक ढाबे पर देखे गए थे। उसके बाद से वह लापता हो गए थे। जिला पंचायत सदस्य बबली यादव ने पति रणधीर यादव के अपहरण की FIR करते हुए 2 लोगों को नामजद किया था। इसमें एक नाम राम सिंह और दूसरा डॉ. उदय (कंपाउंडर) का था। शक की सुई इन्हीं दोनों पर थी। रणधीर यादव की तलाश के दौरान पुलिस को पता चला था कि उनका जानने वाला राम सिंह भी लापता है। राम सिंह PWD का कर्मचारी है। 24 अगस्त को रणधीर यादव की स्कॉर्पियो चित्रकूट के देवांगना के पास लावारिस हालत में मिली थी। स्कॉर्पियो से नंबर प्लेट गायब थी, लेकिन कागजात मिल गए थे। राम सिंह के पकड़े जाने के बाद खुलासा हुआ कि अंजली की मौत जहर खाने से हुई थी। लेकिन इसकी सूचना उन लोगों ने पुलिस को नहीं दी और अंतिम संस्कार कर दिया। -------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... विधायक से अभद्रता पर चली गई थी डीएम की कुर्सी:यूपी में हर साल शिवपाल-बुलंदशहर DM श्रुति जैसे 15 से 18 विवाद; एक्शन में देरी यूपी में बुलंदशहर की डीएम श्रुति और सपा नेता शिवपाल यादव का मामला नया नहीं है। पहले भी ऐसे मामले आते रहे हैं, जिनमें माननीयों ने अफसरों के न सुनने और अभद्रता की शिकायत की है। ऐसे ही एक मामले में गाजीपुर की डीएम की कुर्सी जा चुकी है। पढ़िए पूरी खबर
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