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    सुप्रीम कोर्ट बोला- सुविधाएं नहीं तो ट्रिब्यूनल खत्म कर दें:रिटायर्ड जजों की नियुक्ति का मामला, कोर्ट ने कहा- आवास-कार की भीख मांगनी पड़ती है

    6 hours ago

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    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ट्रिब्यूनल में हाई कोर्ट के पूर्व जजों की नियुक्ति की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र की भूमिका पर सवाल उठाए। उसने कहा कि ट्रिब्यूनल में नियुक्त होने वाले रिटायर्ड जजों को कई बार आवास-कार जैसी सुविधाओं की भीख मांगनी पड़ जाती है। ट्रिब्यूनल में हाई कोर्ट की नियुक्ति की याचिका एनजीटी बार एसोसिएशन वेस्टर्न जोन ने लगाई है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जजों द्वारा रिटायरमेंट के बाद की भूमिकाओं में दिलचस्पी ना लेने का कारण सुविधाओं की कमी है। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार इस स्थिति को सुधारने में असमर्थ है तो इसे समाप्त कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और आर. महादेवन ने कहा कि यह कमी केंद्र सरकार की वजह से है। उसने ट्रिब्यूनल बनाए लेकिन उन्हें चलाने के लिए पर्याप्त बजट या संसाधन नहीं दिए। उन्होंने आगे जोड़ा कि यदि केंद्र सुविधाएं नहीं दे सकता, तो सभी ट्रिब्यूनल समाप्त कर दें और सभी मामले हाई कोर्ट को भेज दें। अदालत ने कहा- वे आवेदन क्यों करते हैं और इंटरव्यू में क्यों उपस्थित होते हैं और फिर पदभार क्यों नहीं संभालते? एक कारण यह है कि उन्हें वास्तविकता का सामना करना पड़ता है, ट्रिब्यूनल सदस्य बनना कैसा होता है। उनमें से कुछ, यदि वे अध्यक्ष हैं, तो वे हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज होते हैं। उन्हें कोई सुविधा प्रदान नहीं की जाती। जजों को भीख मांगनी पड़ती है बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से कहा- संसद ने अधिनियम पारित किए हैं। न्यायिक प्रभाव को नहीं लिया गया। कोई खर्च नहीं दिया जाता। उन्हें स्टेशनरी, आवास, कार की भीख मांगनी पड़ती है। आपके विभाग की सबसे जर्जर कार ट्रिब्यूनल अध्यक्ष को दी जाती है। आप पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और जजों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं? बनर्जी ने कहा- केंद्र को संदेश पहुंचाएंगे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि दो पूर्व जजों को नियुक्ति की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने पदभार नहीं संभाला और नियुक्ति प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करना होगा, जिसमें समय लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की उस मांग को भी अस्वीकार कर दिया कि मौजूदा सदस्यों को नए सदस्यों की नियुक्ति तक सेवानिवृत्ति के बाद जारी रखने की अनुमति दी जाए। मामले की अगली सुनवाई अब 16 दिसंबर को होगी। .................. सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... सु​प्रीम कोर्ट ने अंबानी के वनतारा को क्लीनचिट दी:कहा- जानवरों की खरीद-बिक्री कानूनी; जैन मठ से हथिनी की शिफ्टिंग पर विवाद​​​​​​ सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा, 'जामनगर स्थित वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में जानवरों की खरीद-बिक्री नियमों के दायरे में हुई है।' इस सेंटर को अंबानी परिवार का रिलायंस फाउंडेशन चलाता है। कोर्ट ने कहा कि विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं मिली है। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने कहा- अब इस मामले को बार-बार उठाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। स्वतंत्र समिति ने जांच की है और हम उसी पर भरोसा करेंगे। इससे पहले SC ने 26 अगस्त को 2 पब्लिक इंटरेस्ट पिटीशन (PIL) पर SIT बनाने का आदेश दिया था। एक वकील सीआर जया सुकीन और दूसरी याचिका देव शर्मा ने जुलाई में कोल्हापुर के जैन मठ से हाथी ‘माधुरी’ को वनतारा में ले जाने के विवाद के बाद दायर की थी। पढ़ें पूरी खबर...
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