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    LU में गोमती पुस्तक मेले का चौथा दिन:बच्चों ने भरे सपनों के रंग, चंद्रकांता के ‘क्रूर सिंह’ भी पहुंचे

    2 hours ago

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    लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रहे चौथे गोमती पुस्तक महोत्सव के चौथे दिन कला, साहित्य और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। लेखकगंज में चर्चित लेखिका शीला रोहेकर से संवाद हुआ, जबकि शाम को चंद्रकांता के क्रूर सिंह यानी अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र ने अपने अभिनय के सफ़र से जुड़े अनुभव साझा कर कार्यक्रम में नाटकीय रंग भर दिए। चित्रोत्सव ने बच्चों का मन मोहा एनबीटी-इंडिया और टीम डूडल द्वारा बच्चों के पैवेलियन में आयोजित 2 दिवसीय कला महोत्सव “चित्रोत्सव – ड्रा, डूडल, डिस्कवर” के दूसरे दिन भी बच्चों ने विभिन्न कला विधाओं की बारीकियां सीखते हुए कार्यक्रम में अपनी कल्पनाओं के रंग भर दिए। कार्यक्रम की शुरुआत सुविधा मिस्त्री की पॉप आर्ट सेल्फी क्लास से हुई। जहां बच्चों ने एक ही रेखा में पेन उठाए बिना जीवंत चित्र बनाना सीखा और उन्हें चमकीले रंगों से सजाया। दूसरे सत्र मेडिटेटिव ट्रीस्केप्स में वंदना बिष्ट ने बच्चों को पेड़ों की आकृतियों में सूक्ष्म पैटर्न भरते हुए मन को शांति देने वाली कला से परिचित कराया। महोत्सव का समापन रीमा कौशिक द्वारा आयोजित डूडल आर्ट प्रतियोगिता से हुआ। जिसमें बच्चों ने अपने नामों को रचनात्मक डूडल पैटर्न में पिरोया। सर्वश्रेष्ठ 16 प्रतिभागियों को एनबीटी-इंडिया की ओर से प्रमाणपत्र और पुस्तकें प्रदान की गईं। कोविड के दौरान लिखी पुस्तकें चंद्रशेखर आज़ाद से लेकर चंद्रकांता के क्रूर सिंह तक हर किरदार में जान डालने वाले सिनेमा और रंगमंच के दिग्गज अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र ने विशेष बातचीत में अपनी किताबों “अभिनय, अभिनेता और अध्यात्म”, “अखिलामृत” और “आत्मोद्धानम्” पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ये पुस्तकें मैंने कोविड महामारी के दौरान घर पर लिखीं। मैं रोज सुबह 3 बजे उठकर लिखता था। ये कविताएं मुझे स्वयं आई, जिनमें अध्यात्म, जीवन और पर्यावरण तक के विषय शामिल हैं। उन्होंने हिंदी पढ़ने और बोलने की महत्ता पर भी जोर दिया। “चाहे रंगमंच हो या लेखन, यह एक आध्यात्मिक यात्रा है। मंच पर कलाकार विलीन हो जाता है, केवल पात्र जीवित रह जाता है। नाट्यशास्त्र सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ अखिलेंद्र मिश्र ने अपनी कविता “नाटक” का पाठ किया और नाट्यशास्त्र को आज भी अभिनेताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ बताया। सांस्कृतिक संध्या शाम को लखनऊ के कलाकारों ने भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से वातावरण को जीवंत कर दिया। इसमें सधी हुई कथक प्रस्तुतियां, कविताओं का प्रभावशाली पाठ और लखनऊ विश्वविद्यालय तथा एमयूआईटी लखनऊ के छात्रों की संगीत-नृत्य प्रस्तुतियां शामिल थीं। डॉ.कृष्ण सिंह ने भी अपनी मार्मिक कविता “आयो रे सूरज” का प्रभावशाली पाठ किया।
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