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    Revival of Troika Chapter 3 | भारत, रूस, चीन की तिकड़ी कितनी ताकतवर| Teh Tak

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    नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) 32 देशों का एक सैन्य गठबंधन है, जिनमें से अधिकांश उत्तरी अमेरिका और यूरोप से हैं। इसकी स्थापना 1949 में अपने सदस्यों को बाहरी खतरों से बचाने के लिए की गई थी। इसके प्रमुख सदस्यों में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं। दूसरी ओर, ब्रिक्स उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। मूल रूप से इसमें पाँच देश शामिल थे—ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। 2024 में इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करके इसका विस्तार किया गया, जिससे यह 10 सदस्यीय समूह बन गया। नाटो रक्षा क्षेत्र में मज़बूत है, जबकि ब्रिक्स आर्थिक विकास पर केंद्रित है। लेकिन कुल मिलाकर कौन ज़्यादा शक्तिशाली है? इस लेख में, हम सैन्य शक्ति, सकल घरेलू उत्पाद, जनसंख्या और अन्य प्रमुख कारकों के आधार पर उनकी तुलना करेंगे। जानने के लिए हमारे साथ बने रहें!नाटो: संरचना और उद्देश्यगठन: 1949 में एक सैन्य गठबंधन के रूप में स्थापित, मुख्यतः संभावित आक्रमणकारियों के विरुद्ध सामूहिक रक्षा के लिए, विशेष रूप से शीत युद्ध के दौरान।सदस्यता: इसमें 31 सदस्य देश शामिल हैं, जिनमें मुख्यतः उत्तरी अमेरिका और यूरोप के देश शामिल हैं, जो पारस्परिक रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित हैं।आर्थिक शक्ति: सामूहिक रूप से, नाटो देशों का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 38 ट्रिलियन डॉलर है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन का महत्वपूर्ण योगदान है।सैन्य फोकस: नाटो सैन्य तैयारी और रक्षा क्षमताओं पर ज़ोर देता है, और अपने सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैन्य संसाधनों पर भारी खर्च करता है।सैन्य शक्ति: किसका पलड़ा भारी है?नाटो और ब्रिक्स की सैन्य शक्ति की तुलना करते समय, कई कारक सामने आते हैं, जिनमें सैन्य व्यय, सैनिकों की संख्या, तकनीकी क्षमताएँ और समग्र रणनीतिक उद्देश्य शामिल हैं।नाटो: सैन्य अवलोकनसामूहिक रक्षा: नाटो उत्तरी अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 5 में उल्लिखित सामूहिक रक्षा के सिद्धांत के तहत कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि किसी एक सदस्य पर हमला सभी पर हमला माना जाता है।इसने ऐतिहासिक रूप से संभावित हमलावरों के विरुद्ध एक मज़बूत निवारक प्रदान किया है।सैन्य व्यय: 2024 में नाटो सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से रक्षा पर उल्लेखनीय व्यय किए जाने की उम्मीद है, और कई देश 2014 में वेल्स शिखर सम्मेलन में निर्धारित 2% सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लक्ष्य को प्राप्त करने या उससे अधिक करने का लक्ष्य रख रहे हैं।उदाहरण के लिए, पोलैंड द्वारा 2024 में अपने सकल घरेलू उत्पाद का 4.7% रक्षा पर खर्च किए जाने का अनुमान है।सैनिक तत्परता: यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से नाटो ने अपनी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि की है।यह गठबंधन अब खतरे के स्तर के आधार पर, विभिन्न समय-सीमाओं में 500,000 सैनिकों तक को जुटा सकता है। इसमें 10 दिनों के भीतर तैयार 100,000 टियर 1 बल शामिल हैं।तकनीकी बढ़त: नाटो देश, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, उन्नत सैन्य तकनीकों और विविध प्रकार की हथियार प्रणालियों को बनाए रखते हैं।आरआईसी क्या हैरूस, भारत और चीन के गठबंधन को आरआईसी कहा जाता है। हालांकि आरआईसी कोई सैन्य गठबंधन नहीं है और ना ही इस संगठन का कोई औपचारिक ऐलान किया गया है। लेकिन इसको बनाने के लिए कई बार कोशिश की जा चुकी है। इसकी शुरुआत 1990 के दशक में रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव ने की थी। इसका मकसद अमेरिका और पश्चिमी देशों के वर्चस्व को कम करना और दुनिया को बहुध्रुवीय व्यवस्था बनाना था। सैन्य ताकत के मुकाबले कहां आरआईसी की ताकत बहुत ज्यादा है। आरआईसी में नाटो के मुकाबले में करीब डेढ़ गुने सैनिक हैं। आरआईसी में रूस के पास 13.2 लाख, भारत के पास 14.5 लाख और चीन के पास 20 लाख सैनिक हैं। दुनिया में कुल 12402 परमाणु बम हैं। इसमें से 51 फीसदी यानी 6352 परमाणु हथियार आरआईसी के पास है। आरआईसी की जीडीपीआरआईसी की जीडीपी नाटो से दोगुने से ज्यादा है। ये जीडीपी परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के आधार पर है। इस तरह से आरआईसी की जीडीपी 61.3 ट्रिलियन डॉलर है। दुनिया की 37 फीसदी आबादी भारत 147 करोड़, चीन 142 करोड़ और रूस 14.6 करोड़ में रहती है। कैसे चीनी हथियार कितने कमजोर साबित हुए, भारत रूस के हथियार दुनिया के सामने ऊभर कर आए। इसका असर अमेरिका चीन दोनों पर पड़ा।इसे भी पढ़ें: Revival of Troika Chapter 4 | चीनी हथियारों ने कैसे करा ली है अपनी फजीहत | Teh Tak  
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