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    सुप्रीम कोर्ट बोला-महाराष्ट्र में 31 जनवरी तक निकाय चुनाव कराएं:देरी पर राज्य चुनाव आयोग को फटकार लगाई; 2022 में होने थे इलेक्शन

    6 hours ago

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    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र चुनाव आयोग (SEC) को निकाय चुनावों में 3 साल की देरी होने पर फटकार लगाई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने निर्देश दिया कि राज्य में सभी स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी 2026 तक कराएं। दरअसल, महाराष्ट्र में 2022 से जिला परिषद, पंचायत समितियां और नगरपालिकाओं के चुनाव OBC आरक्षण विवाद की वजह से नहीं हुए हैं। इससे पहले भी 6 मई को इसी मामले में कोर्ट ने आयोग को 4 हफ्तों के भीतर चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी करने को कहा था। कोर्ट ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए गंभीर मसला है और अब किसी भी हालत में चुनाव टाले नहीं जा सकते। ये छूट सिर्फ इस बार दी गई है, आगे से कोई बहाना नहीं चलेगा। लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने के लिए समय पर चुनाव बेहद जरूरी हैं। बेंच ने कहा कि वार्डों का परिसीमन 31 अक्टूबर तक पूरा होना चाहिए। चुनाव कराने के लिए जितनी मशीनें और स्टाफ चाहिए, उसकी जानकारी तुरंत राज्य के मुख्य सचिव को दें। कोर्ट ने आयोग की दलीलों पर नाराजगी जताई चुनाव आयोग ने अदालत में दलील दी थी कि पर्याप्त EVM, परीक्षाओं के कारण स्कूल बिल्डिंग और स्टाफ की कमी की वजह से देरी हो रही है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि मार्च 2026 में बोर्ड परीक्षा होना चुनाव टालने का कारण नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा- चुनाव से जुड़े परिसीमन या आरक्षण पर कई याचिकाएं हाईकोर्ट में हैं। आयोग बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से इन्हें एक साथ जोड़ने का अनुरोध कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी डेडलाइन दी थी सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई 2025 को कहा था कि राज्य चुनाव आयोग चार सप्ताह के भीतर राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करे। अदालत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र चुनाव आयोग चार महीने के भीतर निकाय चुनाव संपन्न कराने का प्रयास करे। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा- हमारे विचार से स्थानीय निकायों के समय-समय पर चुनावों के जरिए लोकतंत्र के संवैधानिक जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें... 2021 में भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक कि सरकार शीर्ष अदालत के 2010 के आदेश में निर्धारित ट्रिपल टेस्ट को पूरा नहीं करती। कोर्ट ने आदेश दिया था कि जब तक ट्रिपल टेस्ट मानदंड पूरा नहीं हो जाता तब तक ओबीसी सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटों के रूप में फिर से अधिसूचित किया जाएगा। शिवसेना (अविभाजित) ने 84 सीटें जीती थीं वर्ष 2017 के बीएमसी चुनावों में (अविभाजित) शिवसेना ने 84 सीट पर, जबकि बीजेपी ने 82 सीट पर जीत हासिल की थी। अविभाजित शिवसेना विधायकों और सांसदों के एक बड़े हिस्से ने जून 2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी और एकनाथ शिंदे नीत खेमे में शामिल हो गए थे। बाद में चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी। --------------------------------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... राउत बोले- उद्धव और राज साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे:BMC, नासिक समेत 4 शहरों के नगर निगम चुनाव में मिलकर प्रत्याशी उतारेंगे महाराष्ट्र में मराठी भाषा के मुद्दे पर पिछले महीने एक मंच पर आए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे गठबंधन करने जा रहे हैं। कुछ महीनों बाद होने वाले स्थानीय और नगर निकाय चुनाव में दोनों पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ेंगी। पूरी खबर पढ़ें...
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