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    विधायक पूजा पाल की ‘कलर पॉलिटिक्स’':वोटर बोले- सहानुभूति की राजनीति छोड़ व विकास के मुद्दे पर वोट मांगे

    11 hours ago

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    कौशांबी की चायल विधानसभा सीट से विधायक पूजा पाल समाजवादी पार्टी से निष्कासित होने के बाद से लगातार सुर्खियों मे है। विधायक पूजा पाल के राजनैतिक भविष्य व उनके अगले कदम को लेकर शुरू हुई चर्चा अब राजनैतिक उठापटक की तरफ करवट ले रही है। दरअसल, साल 25 जनवरी 2005 मे स्व विधायक राजू पाल की हत्या के बाद पूजा पाल सुर्खियों मे आई। उस समय विधायक पूजा पाल महज 9 दिन के विवाहिता थी। पति की हत्या के बाद उन्होंने नीले झंडे से अपना राजनैतिक सफर शुरू किया। बदलते समय के साथ पूजा पाल ने अपनी सियासी जमीन को बचाने के लिए लाल टोपी पहन ली। अब वह सपा से निकाले जाने के बाद भगवा झंडे को पकड़ सियासत की नई जमीन तैयार करने की कोशिश मे लगी है। जिस विधानसभा चायल से पूजा पाल विधायक है, उसका मूड और सियासी मायने समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम चायल कस्बा पहुची। यहां हमने विधानसभा मे सक्रिय पाल समाज के सामाजिक संगठन होल्कर सेना, शेफर्ड टाइगर फोर्स, स्व राजू पाल, अहिल्या बाई आर्मी जैसे सामाजिक संगठन के नेताओं, राजनैतिक दलो एवं आम मतदाताओं से बातचीत की। विधायक पूजा पाल को लेकर क्या कुछ सोचते है, और उनका कदम क्या होना चाहिए। सबसे पहले चायल विधानसभा के भौगोलिक-राजनैतिक एवं जातीय समीकरण की .... प्रयागराज के करीब 20 किलोमीटर दूर शहर पश्चिमी से सटी विधान सभा का नाम “चायल” है। प्रदेश की 403 सीटों मे चायल विधान सभा नंबर 253वां है। चायल विधानसभा की परिधि प्रयागराज के शहर पश्चिमी, मंझपुर विधान सभा एवं सिराथू विधानसभा से छूकर निकलती है। इस विधान सभा मे पहली बार समाजवादी पार्टी ने विधायक पूजा पाल के रूप मे जीत दर्ज की है। इसके पहले यह सीट कांग्रेस-बसपा एवं भाजपा के उम्मीदवार ही जीत का सेहरा पहनते थे। विधानसभा की जनसंख्या 5.69 लाख के करीब है। जिसमे 3,87,838 महिला पुरुष मतदाता शामिल है। जाति समीकरण मे सीट अनुसूचित जाति बाहुल्य है। जिसमे पासी वोटर की संख्या सबसे अधिक बताई जाती है। खुद विधायक पूजा पाल जिन समाज से आती है उनके वोटर की संख्या 30 हज़ार आँकी जाती है। अब बात विधानसभा के राजनीति के जानकार नेताओं की… इसी विधान सभा से स्व राजू पाल की विधवा पत्नी पूजा पाल विधायक है। एमएलए पूजा पाल की जीत के पीछे साल 2022 के समीकरण को समझने के लिए सबसे पहले हमने पूर्व जिला अध्यक्ष कांग्रेस तलत अजीम से बात की। तलत अज़ीम पिछले 25 साल से क्षेत्र व विधानसभा की राजनीति ने सक्रिय भूमिका निभाते है। उन्होंने साल 2017 के विधानसभा चुनाव मे समाजवादी-कांग्रेस पार्टी अलाइंस के उम्मीदवार रहे। वह भाजपा के पूर्व विधायक संजय गुप्ता से जीत मे पिछड़ गए थे। पूर्व जिला अध्यक्ष कांग्रेस तलत अज़ीम ने बताया कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव मे प्रदेश मे सपा और भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला सबके सामने था। चायल विधान सभा मे समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को मजबूत करने के लिए अलाइंस के घटक दलों ने पूरी ताकत लगा कर पार्टी के उम्मीदवार को जिताया। विधायक पूजा पाल के कदम को लेकर उन्होंने स्पष्ट कहा कि मौजूदा विधायक पूजा पाल समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीती थी। तो उनको पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखना चाहिए था। उन्हे विधान परिषद के चुनाव मे भाजपा के उम्मीदवार को वोट नहीं करना चाहिए था। वह चुनाव जीतने के बाद से लगातार क्षेत्र की जनता के सुख-दुख को छोड़, भाजपा के चुनाव प्रचार का हिस्सा बनी हुई थी। बतौर मतदाता उन्होंने कहा कि एमएलए पूजा पाल को अब सहानुभूति के नाम पर वोट की राजनीति को छोड़ कर विकास के नाम पर बात करनी चाहिए। बिना नाम लिए कांग्रेस नेता ने एमएलए की दूसरी शादी का जिक्र कर अपने बात को खत्म किया। समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि चायल की जनता ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को अपनी अपेक्षा के अनुसार जीत दिलाकर विधानसभा मे भेजा था, लेकिन वह जीत के बाद विधानसभा के लोगो को भूल गई। उन्होंने जनता के दुख दर्द को छोड़ कर पाने निजी हितों को सबसे पहले ध्यान मे रखा है। इस हालत मे चायल की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है। इसके बाद हम विधान सभा के केंद्र यानि चायल तहसील परिसर मे पहुचे। जहां हमे स्थानीय पत्रकार विनोद सिंह मिले। विनोद सिंह पिछले 20 साल से विधानसभा क्षेत्र मे सामाजिक राजनैतिक एवं आम आदमी का दुख दर्द अपनी लेखनी के जरिए सामने लाते रहे है। विनोद सिंह ने बताया कि विधान सभा के चुनाव मे विधायक पूजा पाल की जीत अकेले उनके अपने जनाधार का नतीजा नहीं थी, बल्कि उनकी जीत के पीछे के कारक सिराथू की मौजूदा सपा विधायक पल्लवी पटेल व पूर्व मंत्री, मंझनपुर विधायक व सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज की राजनैतिक विसात थी। जिसमे उलझ कर भाजपा अपना दल के गठबंधन उम्मीदवार नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को हार का सामना करना पड़ा था। यही पर हमने विधानसभा के स्थानीय वोटर से बातचीत कर उनके मन मे क्या है। यह समझने की कोशिश मे अजय द्विवेदी ने बताया कि विधायक पूजा पाल के मौजूदा हालत मे विधानसभा मे उनकी राजनैतिक जमीन अब भी सुरक्षित है। वह क्षेत्र के लिए कर्मठ प्रत्याशी रही है। जीत के प्रमुख फैक्टर मे उन्होंने कहा कि कुछ खास नहीं है पर राजनैतिक दल के आधार पर वह दोबारा भी चायल से जीत दर्ज करेगी। योगेश त्रिपाठी ने कहा कि विधायक पूजा पाल का कदम एकदम सही है। पूरा देश जानता है कि उनके पति स्व राजू पाल की हत्या माफिया अतीक अहमद ने खुलेआम कराई थी। उसको लेकर जो कुछ उन्होने विधान सभा के सदन मे कहा वह उनकी बात का समर्थन करते है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन का निजी पहलू भी है। आम आदमी को इस पर नहीं जाना चाहिए। श्याम पाल ने बताया, मौजूदा विधायक स्व विधायक राजू पाल की हत्या के बाद लगातार सुर्खियों मे बनी रहने के लिए ही अब भी काम कर रही है। इस बात से इंकार नहीं है कि विधायक का जीवन बेहद संघर्षों से भरा रहा है। वह बोल्ड लेडी मानी जाती है, लेकिन वर्तमान हालात मे विधायक पूजा पाल समाज की विचार धारा से भटक गई है। वह सिर्फ अवसर की राजनीति कर रही है। वह सिर्फ स्व विधायक राजू पाल के नाम का इस्तेमाल कर रही है। पाल समाज एमएलए पूजा पाल के आने से पहले भाजपा के साथ था, लेकिन समाजवादी पार्टी से समाज का उम्मीदवार देख उन्होंने समाज की नेता को आगे आने का अवसर दिया। समाज की नेता अब सपा से निष्कासित होने के बाद भटकाव के रास्ते पर लेकर आई है। खुद भी भटक रही है और समाज भी भटक रहा है। राम सागर ने बताया कि विधायक के कदम को लेकर चायल की जनता के काफी नाराजगी और खिन्नता है। जनता अब उस मौके की तलाश मे है जब उन्हें वोट का मौका मिले और वह अपना फैसला सुनाये। मोहम्मद एहसान बताते है कि विधानसभा ने उन्हें बड़ी उम्मीद के साथ जीता कर सदन मे अपने प्रतिनिधित्व के लिए भेजा था, लेकिन विधायक ने जो फैसला लिया है, उससे चायल की जनता नाराज़ है। उन्हे अपने पद से इस्तीफा देकर दोबारा अपने जनाधार को स्पष्ट करना चाहिए। आल इंडिया रेडियो व दूरदर्शन के पत्रकार सुनील शुक्ला ने बताया, एमएलए पूजा पाल को राजनीति में स्थापित होने और पहचान बनाने के कई अवसर मिले। बीएसपी से शुरुआत कर मायावती ने खुद उनके लिए प्रचार किया और वह दो बार विधायक बनीं। सपा में आने पर भी अखिलेश, डिंपल और जया बच्चन ने उन्हें समर्थन दिया। इसके बावजूद उनकी अस्थिर और अवसरवादी राजनीति ने उन्हें स्थायी मुकाम से दूर रखा। आज वह सत्तारूढ़ दल के हाथों महज एक टूल की तरह दिखती हैं। मंत्री बनने की संभावना का मतलब राजनीतिक पहचान नहीं होता। समाजवादी पार्टी से अलग होकर उनका यह कदम परिपक्व राजनीति नहीं कहलाएगा और इससे उनकी साख कमजोर होती ही दिख रही है। आइये आपको उन नेताओं के बयान पढ़ाते है जो विधायक के समाज से आते है … एमएलए पूजा पाल के कदम को लेकर सामाजिक संगठन के नेताओं मे अलग अलग मत सामने आए है। राजमाता अहिल्याबाई होल्कर सेना, शेफर्ड टाइगर फोर्स, स्व॰ राजू पाल स्वप्न साकार संगठन प्रदेश व जिले मे 20 वर्षो से समाज के हक हुकूक की लड़ाई सड़क पर लड़ रहा है। होल्कर सेना अध्यक्ष जितेंद्र पाल ने बताया, संगठन ने उन्हें अभी 6 माह पहले ज़िम्मेदारी सौंपी है। पाल समाज ने अपने प्रतिनिधित्व का जिम्मा समाजवादी पार्टी ने विधायक पूजा पाल को दिया है, लेकिन चुनाव मे जीत हासिल करने के बाद उन्होने सिर्फ अपने निजी हितो की राजनीति की है। इससे समाज के लोगो ने खासा रोष है। हाल की घटना लोहदा कांड (जिसमे एक पाल समाज की बेटी से अन्याय हुआ) मे विधायक पूजा पाल ने न तो कोई प्रतिक्रिया दी और न पीड़ित परिवार के घर सांत्वना देने गई। शेफर्ड टाइगर फोर्स के जिलाध्यक्ष डॉ सुनील पाल के मुताबिक, समाज की लड़ाई लड़ने के लिए उनका संगठन जी जान से मेहनत करता है। ये समाज के लिए गर्व की बात है कि चायल विधानसभा मे उनके समाज को विधानसभा मे प्रतिनिधित्व विधायक पूजा पाल के रूप मे मिला है। विधायक पूजा पाल किस राजनैतिक दल से चुनाव लड़ा, अब वह किस राजनैतिक दल मे जाएगी। इससे समाज को कोई खास फर्क उन्हे पड़ता नहीं दिख रहा है। उनका मानना है कि विधायक समाज के प्रति अपने रवैये को उदासीन बनाए हुए है। उन्होंने कभी समाज से जुड़ी गतिविधियों मे खुलकर हिस्सा नहीं लिया। स्व॰ राजू पाल स्वप्न साकार संगठन के जिलाध्यक्ष शेष पाल ने कहा कि, पूर्व विधायक राजू पाल ने जिन हालात मे शहर पश्चिमी को माफिया राज का तिलिस्म तोड़ कर जीत हासिल की थी। पाल समाज कभी नहीं भूल सकता है। आज भी विधायक पूजा पाल मे पाल समाज स्व॰ राजू पाल के छवि को देखता है। समाजवादी पार्टी ने चायल सीट पूजा पाल की निष्ठा पाल समाज के साथ होने के चलते जीत हासिल की है। समाज का 99.99 प्रतिशत लोग विधायक पूजा पल के साथ है और रहेगे। उन्होंने भले ही बसपा से पति की हत्या के बाद राजनीति के कदम रखा हो लेकिन उनका जनाधार देखकर ही समाजवादी पार्टी के नेताओं ने उन्हे चायल सीट पर मैदान मे उतार कर जीत पाई है। इसके पहले समाजवादी पार्टी का कोई नेता चायल सीट पर जीत नहीं सका था। अब विधायक पूजा पाल जिस भी पार्टी व राजनैतिक दल मे जाएगी समाज उनके साथ खड़ा रहेगा। अब पढ़िये विधायक पूजा पाल का फ्लैश बैक तारीख: 25 जनवरी 2005 समय: 4:30 PM स्थान प्रयागराज का सुलेम सराय इलाका, गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। हमलावर की बंदूकों का मुंह शांत हुआ तो सामने पड़ा था शहर पश्चिमी का युवा बसपा विधायक राजूपाल गोलियों से छलनी होकर पड़े थे, उनका सुरक्षा कर्मी भी मौत की घड़ी का इंतजार कर रहा था। एक अन्य महिला रुखसाना की जान बड़ी मुश्किल से इलाज के बाद बची। इस घटना ने प्रदेश की राजनीति में भूचाल पा दिया। आरोप माफिया अतीक अहमद, उसने भाई अशरफ गैंग पर लगा। कई दिनों तक शहर पश्चिमी के अलावा शहर के कई हिस्सों में शांति व्यवस्था को लेकर संकट खड़ा हो गया। मौजूदा मुलायम सिंह यादव की सरकार में बड़ी मुश्किल से माफिया अतीक अहमद व अशरफ का नाम तत्कालीन विधायक राजूपाल की हत्या में शामिल किया। महज 9 दिन पहले पिता के घर ब्लैक एंड व्वाइट जीवन का संघर्ष छोड़ पूजा पाल के जीवन में रंग भरे थे, जो एक बार फिर राजू पाल की कफ़न के सफेद रंग जैसे कोरे हो गए। राजू पाल की मौत के बाद सियासत से करवट ली और बसपा की मायावती सरकार में पूजा पाल शहर पश्चिमी की विधायक बन विधानसभा के रेड कार्पेट पर पहुंच गई। विधायक पूजा पाल ने अपने पूर्व के इंटरव्यू में कहा था कि उनके जीवन का सिर्फ एक मकसद है, वह पति के हत्यारे माफिया को सजा दिलाकर अपने पति की तड़पती आत्म को शांति देना। इसके लिए हर संघर्ष करेगी। विधायक पूजा पाल 2007 व 2012 में बसपा की शहर पश्चिमी से विधायक रही। बावजूद इसके वह महज अपने दिवंगत पति की हत्या की सहानुभूति पर ही निर्भर रह सकी। उन्होंने अपना कोई ठोस जनाधार विधानसभा में नहीं बना सकी। नतीजा यह रहा कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर मैदान में उतरी, लेकिन भाजपा के सिद्धार्थ नाथ सिंह के सामने तीसरे नंबर के भी वोट नहीं हासिल कर सकी। नीले झंडे के बैनर का ग्राफ लगातार गिरता देख पूर्व विधायक ने समाजवादी पार्टी का रुख करना शुरू कर दिया। जानकार बताते है कि विधायकी जाने के बाद पूजा पाल का सपना अपने पति को इंसाफ दिलाने का धुंधला होने लगा। विधायक पूजा पाल ने अपने हाल के एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि उनकी दूसरी शादी उसके भाई व माफिया अतीक अहमद की साजिश का एक हिस्सा थी। हालांकि विधायक इस मामले पर पूर्व विधायक बृजेश वर्मा से शादी का सवाल बीच में ही छोड़ दिया। जानकार कहते है कि विधायक पूजा पाल शादी के बाद अपने जीवन में रंग जरूर भर गए लेकिन उनके पूर्व पति राजू पाल की हत्या के बाद उनके जीवन से जुड़ा खून का रंग ही उनकी सियासत का असल रंग था। कानूनी लड़ाई से उन्होंने मामले को देश की बड़ी अदालत तक पहुंचकर इंसाफ की जंग जारी रखी। लेकिन बिना विधानसभा में रहे पूजा पाल को लगता था कि उसके पति के हत्यारे अतीक अशरफ को सजा नहीं दिला पाएगी। लिहाजा उन्होंने सपा के लाल व हरे झंडे की मीटिंग में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। साल 2022 के चुनाव में सपा के चीफ अखिलेश यादव ने पीडीए का समीकरण साधने के लिए चायल से पाल बिरादरी पर भरोसा जता कर पूर्व विधायक पूजा पाल को टिकट दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश की रणनीति ने कौशांबी की 3 विधानसभा सीटों पर उन्हें जीत दिला दी। अब विधायक पार्टी के मीटिंग के लाल टोपी लगा कर पार्टी के नीतियों को आगे बढ़ाने का दंभ भरने लगी। पाल समाज के सामाजिक संगठन के नेताओं के मुताबिक चायल विधान सभा न जीत के बाद वह ज्यादातर समय जनता से दूर ही रही। समाज के प्रति उनका उदासीन रवैया रहा। अब बात राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल हत्याकांड व माफिया के खात्मे की… पूर्व विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह व एडवोकेट उमेश पाल की हत्या सनसनीखेज तरीके से 24 फरवरी 2023 को बदमाशों ने गोलियों से भून कर कर दी। इस हत्याकांड में उमेश पाल व उसके 2 अंग रक्षक पुलिस कर्मी मरे गए। इस घटना को पूरे देश ने सोशल मीडिया व मीडिया के वीडियो तस्वीर में देखा। हत्याकांड ने भाजपा की योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। पुलिस अफसरों ने रात दिन एक कर बदमाशों को खोज कर एनकाउंटर में मार गिराया, जिसमें अतीक अहमद का बेटा असद भी शामिल था। मामले कुछ ठंडा पड़ने लगा तो विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री ने उमेश पाल हत्याकांड से जोड़ कर सीएम योगी से सवाल कर दिया। जिसके जवाब में सीएम ने माफिया को मिट्टी में मिलाने का बयान दे दिया। जानकार के मुताबिक, माफिया अतीक अशरफ को पुलिस अभिरक्षा में लेकर गुजरात जेल से लेकर प्रयागराज आई थी। उससे हत्याकांड के संबंध में सबूत एकत्रित करने की कार्यवाही कराई जा रही थी। इसी बीच मेडिकल के लिए लाए गए काल्विन अस्पताल परिसर में मीडिया को इंटरव्यू देते समय 3 बदमाश लड़कों ने माफिया ब्रदर्स को मौत की नींद सुला दिया। इस घटना ने भाजपा सरकार की कानून व्यवस्था की नीति पर भरोसा करने जैसे माहौल विकसित हुए। माफिया कीमत के बाद विधायक पूजा पाल के कलेजे को काफी ठंडक पहुंची। उनका रुझान प्रदेश की मौजूदा सरकार की पार्टी भाजपा की तरफ बढ़ने लगा। वह अब खुलकर भाजपा के समर्थन में चुनाव प्रचास एवं सीएम योगी की मीटिंग में हिस्सा लेने लगी। चर्चाओं में उन्होंने खुद को भाजपा से करीब करीब जोड़ लिया। हाल के विधान सभा सत्र में उन्होंने खुद के मन की बात बतौर समाजवादी पार्टी विधायक रहते हुए कह डाली। इस दौरान उन्होंने माफिया के खात्मे के लिए सीएम योगी की तारीफ ही नहीं कि बल्कि वह जिस पार्टी से विधायक चुनी गई थी उसकी नीति पर सवाल उठा बैठी। जिसके चलते सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। अब चायल की विधायक पूजा पाल को लेकर चर्चाओं का बाजार चाय पान की दुकानों पर लगता है। शहर के स्थानीय मेले में उनकी तस्वीर बसपा के नीले झंडे वाले रंग की होल्डिंग में छपती है, लेकिन विधायक के निज आवास पर किसी पार्टी का झंडा नहीं बल्कि देश का तिरंगा पूरी शान से फहरा रहा है।
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