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    सेना में परमानेंट कमीशन का मामला:13 महिला महिला अफसरों का आरोप- स्थायी कमीशन में भेदभाव, SC के आदशों के पालन भी नहीं

    1 hour ago

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    सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भारतीय सेना की शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) की 13 महिला अफसरों के आरोपों पर सुनवाई होगी। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखेंगी। 18 सितंबर को महिला अफसरों ने जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच के सामने पक्ष रखा था। कहा था कि उन्हें स्थायी कमीशन (Permanent Commission) देने में पुरुष अफसरों की तुलना में भेदभाव किया गया है। अफसरों ने कहा था कि गलवान, बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में बराबर योगदान के बावजूद परमानेंट कमीशन देने में मनमानी की गई। महिला अफसरों ने दलील दी थी कि हमारी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) को पुरुष अफसरों की तरह नहीं आंका गया। पुरुष अफसरों की ‘क्राइटेरिया अपॉइंटमेंट्स’ को आधिकारिक रिपोर्ट में दर्ज किया गया, जबकि हमारी पोस्टिंग के बावजूद ACR में इसका जिक्र नहीं किया गया। इस पर कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा था- एक ही ट्रेनिंग और पोस्टिंग होने के बावजूद पुरुष और महिला अफसरों के लिए दो अलग-अलग पैमाने कैसे हो सकते हैं। क्राइटेरिया अपॉइंटमेंट्स पुरुष अफसरों की ACR में तो दर्ज किए जाते हैं, लेकिन महिला अफसरों के मामले में इसे अनदेखा किया गया। महिला अफसरों बताया अपना योगदान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी हुई 18 सितंबर को सीनियर एडवोकेट वी. मोहना ने बेंच को दलील दी थी कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के 2020 और 2021 के आदेशों को बार-बार अनदेखा किया है। सरकार ने वैकेंसी की कमी का बहाना बनाया, जबकि कई मौकों पर 250 अफसरों की सीमा भी पार हो चुकी है। मामले की बुनियाद 17 फरवरी 2020 के बबीता पुनिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को स्थायी कमीशन देने से इनकार करना असंवैधानिक बताया था। इसके बाद 2021 के निशिता केस में भी अदालत ने समान अवसर देने का आदेश दिया था। ...................... सेना में परमानेंट जॉब से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... महिला अफसरों को सेना में परमानेंट जॉब क्यों नहीं:दिल्ली हाईकोर्ट का सरकार से सवाल; CDS एग्जाम में महिलाओं से सिर्फ OTA में आवेदन मांगे दिल्ली हाईकोर्ट ने जुलाई 2025 में महिलाओं को CDS (कम्बाइंड डिफेंस सर्विसेज) परीक्षा के जरिए भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), नौसेना अकादमी (INA) और वायुसेना अकादमी (AFA) में शामिल न करने को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। हाईकोर्ट ने कहा था कि महिला अफसरों को सेना में परमानेंट जॉब नहीं मिल रही। यह मामला गंभीर है और केंद्र सरकार को इसका जवाब देना होगा। पूरी खबर पढ़ें...
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